अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीईए) के एक प्रमुख अधिकरी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बैंक खातों से आधार कार्ड को जोड़ने की अनिवार्यता के खत्म करने के फैसले का स्वागत किया. एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि इसके साथ ही अब बैंकों में आधार कार्ड बनाने तथा आधार कार्ड में संशोधन जैसे काम बंद कर देने चाहिए. उन्होंने कहा, 'अब बैंकों को आधार कार्ड जारी करना बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह कोई बैंकिंग गतिविधि नहीं है.' 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आधार के चलते धोखाधड़ी!

उन्होंने कहा, 'सुप्रीम ने बैंक खातों से आधार कार्ड को जोड़ने की अनिवार्यता को असंवैधानिक करार दिया है. इस फैसले का स्वागत है.' वेंकटचलम ने कहा, 'जहां तक बैंकों की बात है, आधार कार्ड खाता खोलने के लिए पेश किए जाने वाले तमाम अन्य पहचान पत्रों की तरह का ही एक पहचान पत्र मात्र है.' उन्होंने कहा, 'आधार को बैंक खाते से अनिवार्य रूप से जोड़ने के चलते तीसरे पक्ष द्वारा धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए, जो ऋण लेते थे. ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां बैंकों के लोन कराने वाले एजेंट अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक आधार कार्ड नंबर से कई ऋण खाते खोले थे.'

बैंक में हो सिर्फ बैंकिंग

उन्होंने कहा कि कई बैंक शाखाएं आधार कार्ड जारी करती हैं, जिसे रोका जाना चाहिए क्योंकि यह किसी प्रकार से बैंकिंग गतिविधि से जुड़ा नहीं है. आधार की नियामक संस्था यूआईडीएआई ने बैंकों के लिए अनिवार्य रूप से 10 प्रतिशत शाखाओं में आधार कार्ड बनाने और अपडेट करने के लिए कहा है. ऐसा न करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है. कई बैंक का कहना है कि चूंकि आधार कार्ड बनाना बैंकिंग गतिविधि नहीं है, इसलिए बैंकों को इससे दूर रखना चाहिए. आधार कार्ड बनवाने या अपडेट कराने के लिए बैंकों में होने वाली भारी भीड़ के चलते बैंकों का कामकाज प्रभावित होता है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)