देश में बैंकिंग सेक्टर में चुनौती बरकरार है. कई बैंकों के साथ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को भी पिछले साल अच्छा खासा घाटा उठाना पड़ा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष यानी 2019-20 में देश के सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मिलाकर 2,206 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में इन बैंकों को 652 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था. नाबार्ड के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.

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खबर में कहा गया है कि आंकड़ों के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष में 26 आरआरबी को 2,203 करोड़ रुपये का मुनाफा भी हुआ, वहीं 19 बैंकों को 4,409 करोड़ रुपये का नुकसान रिकॉर्ड किया गया. राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की तरफ से हाल में प्रकाशित आरआरबी के आंकड़े एन्श्योर पोर्टल पर आरआरबी की तरफ से डाले गए आंकड़ों पर आधारित हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च, 2020 तक देश के 26 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 685 जिलों में 45 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अपनी सेवाएं दे रहे थे. ये आरआरबी 15 कॉमर्शियल बैंकों की तरफ से प्रायोजित हैं. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक देशभर में 21,850 ब्रांच नेटवर्क के जरिये बैंकिंग सर्विस लोगों को दे रहे हैं. 31 मार्च, 2020 को खत्म वित्त वर्ष में कुल लोन पर आरआरबी की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (NPA) मामूली घटकर 10.4 प्रतिशत पर आ गईं, जो एक साल पहले 10.8 प्रतिशत थीं.

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च, 2020 तक 45 में से 18 आरआरबी का सकल एनपीए 10 प्रतिशत से ज्यादा था. 31 मार्च, 2019 को 53 में से 20 आरआरबी का सकल एनपीए 10 प्रतिशत से ज्यादा था.

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आंकड़ों के मुताबिक बीते वित्त वर्ष में आरआरबी का कुल कारोबार 8.6 प्रतिशत बढ़ा. इससे पिछले वित्त वर्ष में आरआरबी के कारोबार में 9.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी रिकॉर्ड हुई थी. बीते वित्त वर्ष में आरआरबी का कुल कारोबार 7.77 लाख करोड़ रुपये रहा. इस दौरान आरआरबी के जमा में 10.2 प्रतिशत तथा ऋण या एडवांस में 9.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.