क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के मर्जर के बाद सरकार वित्तीय आधार पर मजबूत तीन से चार बैंकों को स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कराएगी. खबर है कि इन तीन-चार बैंकों का आईपीओ बाजार में आएगा. देश में फिलहाल 45 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं जिनकी संख्या मर्जर के बाद घटाकर 38 करने की तैयारी चल रही है.

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अभी कुछ और बैंकों के मर्जर हो सकते हैं क्योंकि राज्य सरकारों की ओर इसके लिए मंजूरी मिल गई है. कहा जा रहा है कि राज्य के भीतर ही आरआरबी के मर्जर से आरआरबी का ऊपरी खर्च घटेगा, टेक्नोलॉजी का अधिकतम इस्तेमाल हो सकेगा. कैपिटल बेस मजबूत होगा. उनके परिचालन क्षेत्र का विस्तार होगा और उनकी पहुंच बढ़ेगी. आरआरबी में केंद्र की 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंक की 35 प्रतिशत और राज्य सरकारों की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

हाल में कानून में हुए बदलाव के मुताबिक, हिस्सेदारी बिक्री के बावजूद केंद्र और प्रायोजक बैंक की कुल हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे नहीं आ सकती. इसबार बजट 2019-20 में आरआरबी के 235 करोड़ रुपये की पूंजी देने की बात कही गई है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि तीन से चार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का आईपीओ इसी साल आने की संभावना है.