RBI की ओर से कंज्यूमर लोन पर जोखिम भार यानी रिस्क वेटेज बढ़ाने पर पर्सनल लोन के महंगा होने की आशंका जताई जा रही है. साथ ही बैंकों और NBFCs के बिजनेस पर भी इसका कोई असर होगा, इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. लेकिन सवाल है कि क्या इस फैसले का सबसे पहला असर लोन ऐप्स पर दिखाई देगा? क्या इसके पीछे कोई और कारण भी है?

आने वाले वक्त में धीमी हो सकती है ग्रोथ

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मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार ऐप-आधारित ऋण सेवा (App based lending) में नए प्लेयर्स के आने से इसमें अब कम से कम कुछ महीनों के लिए बहुत धीमी वृद्धि देखी जा सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड सेगमेंट ने पिछले दो वर्षों में 22 प्रतिशत की CAGR दर्ज की है.

Personal Loan RBI

आरबीआई यह जांचने के लिए ऋणदाताओं पर बारीकी से नजर रखता है कि क्या किसी विशेष खंड में वृद्धि अधिक हो रही है. सावधानी के तौर पर, यदि आरबीआई को चिंता महसूस होती है तो वह ऋणदाताओं को विकास को धीमा करने के लिए कहता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ध्यान देने वाली बात यह है कि आरबीआई ने होम लोन और व्हीकल फाइनेंस में उच्च वृद्धि के बारे में चेतावनी नहीं दी है क्योंकि इन लोन के लिए कोलैटरल बेहतर दिखाई देता है, जबकि कंज्यूमर लोन के लिए कोलैटरल कमजोर होता है.

आगे कहा गया, ''इसके चलते उपभोक्ता क्षेत्रों में चूक से ऋणदाताओं की लाभप्रदता में बाधा आ सकती है. इस कदम का उद्देश्य पूरे क्षेत्र में हाल ही में देखी गई तेजी से वृद्धि को रोकना है. इस कार्रवाई से एनबीएफसी और डिजिटल फिनटेक ऋणदाता काफी प्रभावित होंगे क्योंकि उनके पास विविधीकृत बैलेंस शीट नहीं है.'' एनबीएफसी ग्राहकों पर लागत का बोझ डालने में सक्षम नहीं हो सकती हैं, जिससे निकट अवधि में मार्जिन पर कुछ दबाव पड़ सकता है. आरबीआई ने मजबूत डेटा विश्लेषण और अनुमान प्रस्तुत किए हैं, जबकि डिफॉल्ट पर कोई ठोस डेटा नहीं है.

आरबीआई के फैसले पर जताया है भरोसा

Moody's और S&P ने आरबीआई की ओर से रिस्क वेटेज बढ़ाने के फैसले को बैंकों की सेहत के लिए अच्छा कदम बताया है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि पर्सनल के लिए नियमों को कड़ा करने का आरबीआई का फैसला सही है. मूडीज ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अनसिक्योर्ड लोन तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे वित्त संस्थानों को अचानक आर्थिक या ब्याज दर के झटके की स्थिति में ऋण लागत में संभावित वृद्धि करनी पड़ती है. S&P ने भी कहा है कि इस कदम से ब्याज दरों में बढ़ोतरी तो होगी, लेकिन बैंकों की असेट क्वालिटी में सुधार आएगा.

(एजेंसियों से इनपुट के साथ)