RBI के Repo Rate Hike के बाद FD की ब्याज दर क्यों बढ़ाते हैं बैंक? जबकि लोन पर ज्यादा भरनी पड़ती है EMI
RBI Repo Rate Hiked: बैंक रेपो रेट के बाद आपके लोन पर ब्याज दरें तो बढ़ाते हैं, लेकिन बहुत से बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर आपको मिलने वाला इंटरेस्ट रिटर्न भी बढ़ा देते हैं, तो ऐसा क्यों है?
RBI Repo Rate Hiked: केंद्रीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को रेपो रेट में हाइक (Repo rate hiked) की घोषणा की है. केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद से अब बैंकों की ओर से होम लोन पर ब्याज दरें (home loan interest rate) बढ़ाने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. रेपो रेट में यह लगातार छठी बार बढ़ोतरी हुई है. और इसके बैंकों के लोन की ब्याज दर (loan interest rate) पिछले तीन-चार सालों सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है. रेपो रेट में बढ़ोतरी होने के बाद से बैंक लगातार रेपो रेट बढ़ाते रहे हैं. लेकिन अकसर आपने देखा होगा कि बैंक रेपो रेट के बाद आपके लोन पर ब्याज दरें तो बढ़ाते हैं, लेकिन बहुत से बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर आपको मिलने वाला इंटरेस्ट रिटर्न (fixed deposit interest rate) भी बढ़ा देते हैं, तो ऐसा क्यों है? एक तरफ बैंक लोन पर ब्याज बढ़ा रहा है, तो दूसरी तरफ रिटर्न ज्यादा क्यों दे रहा है?
बैंक एफडी पर इंटरेस्ट रेट क्यों बढ़ाते हैं? (Fixed Deposit Interest Rate)
लेकिन अब जब वो लोन दे रहा है और आरबीआई को अपना ब्याज भी चुका रहा है तो उसके पास इसके लिए अलग से पैसे कहां से आएंगे? जाहिर है आपसे. वो सिस्टम में कैश बनाए रखने के लिए अपने डिपॉजिट को यानी जो उनके पास पैसा आ रहा है, उसे बढ़ाने के लिए कदम उठाएंगे. और फिक्स्ड डिपॉजिट इसका एक तरीका है. बैंक करते ये हैं कि वो फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज की दरें और बढ़ा देते हैं. इसतरह वो कस्टमर को ऑफर देते हैं कि हमारे एफडी पर आपको ज्यादा ब्याज मिल रहा है, आप हमारे यहां एफडी कराएं. इससे ग्राहक एफडी कराते हैं, और बैंक का डिपॉजिट बढ़ता है.
यानी कि Loan Interest Rate पर निष्कर्ष ये है कि बैंकों में लिक्विडिटी बनी रहे, इसलिए बैंक एफडी को अट्रैक्टिव बनाते हैं. क्योंकि वो एक तरफ तो लोन दे रहे हैं, तो उनके पास से पैसा जा रहा है. ऐसे में डिपॉजिट वाला पैसा उनके पास बना रहे, इसके लिए वो एफडी पर रेट बढ़ा देते हैं.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें