RBI on Re-KYC: अगर आपका किसी भी बैंक में अकाउंट है तो यह आपके लिए अच्छी खबर है. रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने Re-KYC को लेकर नियमों को सामने रखा. गवर्नर से पूछा गया कि डिजिटल बैंकिंग में सबकुछ ऑनलाइन हो गया है. अकाउंट खुलवाने के लिए बैंक ब्रांच जाने की जरूरत नहीं रह गई है. इस दौरान KYC भी घर बैठे हो जाता है, लेकिन दोबारा केवाईसी के समय वही बैंक कस्टमर्स को ब्रांच आने के लिए क्यों कहते हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नियम ऐसा नहीं कहता है.

री-केवाईसी मैसेज और ईमेल से संभव

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नियम के मुताबिक, अगर आपके पहले से KYC किया हुआ है और दोबारा केवाईसी करने की जरूरत होती है तो यह सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध है. अगर आपके KYC में किसी तरह का बदलाव नहीं है तो रजिस्टर्ड मेल आईडी या फोन नंबर से ईमेल और मैसेज भेजकर प्रक्रिया पूरी की जा सकती है. अगर ऐड्रेस में बदलाव है तो री-केवाईसी के दौरान रजिस्टर्ड नंबर से मैसेज कर दें या फिर रजिस्टर्ड मेल आईडी से ईमेल कर दें. बैंक दो महीने के भीतर नए ऐड्रेस वेरीफाई कर लेगा.

सेंट्रल केवाईसी रजिस्ट्री से पूरा करें काम

एक अन्य सवाल के जवाब में कहा गया कि अगर किसी एक बैंक ने री-केवाईसी को पूरा कर लिया है तो हर बैंक या ब्रांच में इसे रिपीट करना जरूरी नहीं है. इसके लिए CKYCR (Centralized KYC Registry) की मदद ली जा सकती है. इसमें आपको आइडेंटिफायर नंबर  जारी किया जाता है. इस नंबर को सभी बैंक ब्रांच के साथ शेयर कर सकते हैं. अलग-अलग बैंक और ब्रांच के लिए अलग-अलग Re-KYC की जरूरत नहीं होगी.

अलग-अलग बैंक के लिए अलग-अलग Re-KYC की जरूरत नहीं

गवर्नर दास ने माना कि ग्राहकों को इस तरह की परेशानी होती है. कई बार दोबारा केवाईसी करवाने के लिए ग्राहकों को स्पेशली ब्रांच विजिट करना होता है. उन्होंने कहा कि संभव है कि बैंक के उन अधिकारियों को इस संबंध में सही और उचित जानकारी नहीं उपलब्ध हो. रिजर्व बैंक समय-समय पर इस संबंध में अवेयरनेस प्रोग्राम चलाता है. अगर किसी ग्राहक को री-केवाईसी को लेकर ज्यादा परेशानी होती है तो वह ओम्बड्समेन से इसकी शिकायत कर सकता है. यह शिकायत का गैर-कानूनी मंच है.

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