RBI Monetary Policy June 2022: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बुधवार को नीतिगत दरों (repo rate) में 0.25 से 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है विशेषज्ञों ने यह राय जताई है विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति लगातार ऊंचे स्तर पर बनी हुई है. ऐसे में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ब्याज दरों में चौथाई से आधा प्रतिशत की एक और बढ़ोतरी कर सकती है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, मौद्रिक नीति समिति की सोमवार से द्विमासिक समीक्षा मीटिंग जारी है. इसमें लिए गए फैसलों के बारे में बुधवार को जानकारी दी जाएगी. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही ऐसे संकेत दे चुके हैं कि नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी की जा सकती है.

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आरबीआई ने पिछले महीने चौंकाया था

खबर के मुताबिक, आरबीआई ने पिछले महीने भी अचानक रेपो दर और नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में ग्रोथ कर सबको अचंभित कर दिया था. रेपो दर को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि सीआरआर में भी 0.50 प्रतिशत की ग्रोथ की गई थी. रिजर्व बैंक (RBI Monetary Policy june 2022) के इस सख्त कदम के लिए बढ़ती हुई मुद्रास्फीति को जिम्मेदार बताया गया था. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर, 2021 से ही लगातार बढ़ रही है.

खुदरा मुद्रास्फीति संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है 

खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी से ही आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है अप्रैल, 2022 में यह आठ साल के उच्चस्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई. एचडीएफसी बैंक ट्रेजरी रिसर्च डेस्क की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई अपने रुख और सीआरआर दर को अपरिवर्तित रखते हुए नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है. रिपोर्ट कहती है कि हमें रेपो दर में 0.50 प्रतिशत के बजाय 0.25 प्रतिशत की ही ग्रोथ की संभावना ज्यादा दिख रही है. हमें इस स्तर पर दर में एक और बड़ी बढ़ोतरी के हालात नहीं दिखते हैं.

अगस्त और सितंबर में भी हो सकती है बढ़ोतरी

रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई वैश्विक और घरेलू मूल्य दबावों में बदलाव का हवाला देते हुए मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत के पूर्वानुमान में 0.70-0.80 प्रतिशत तक का बदलाव कर सकता है. यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा कि मुद्रास्फीति ने आरबीआई के समक्ष मौद्रिक नीति को सख्त करने की जरूरत पैदा की है उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि आरबीआई जून में रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. इसके बाद अगस्त और सितंबर में भी इसमें 0.25-0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है. उस समय तक जिंसों की कीमतें नीचे आने की संभावना है, जिससे घरेलू मुद्रास्फीति चक्र को भी कुछ सहूलियत मिल सकती है.

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तरलता में कमी लाने के लिए दर में बढ़ोतरी की उम्मीद

वहीं त्रेहन समूह के प्रबंध निदेशक सारांश त्रेहन ने कहा कि आरबीआई प्रमुख नीतिगत दरों (RBI Monetary Policy) में 0.50 प्रतिशत तक की ग्रोथ कर सकता है. उन्होंने कहा कि बैंक इसका बोझ कर्जदारों पर ही डालेंगे लेकिन ब्याज दरों के निचले स्तर पर होने से मांग पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंफोमेरिक्स ने नीतिगत दर में 0.35-0.50 प्रतिशत तक की वृद्धि किए जाने का अनुमान जताया है. ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के कोष प्रबंधक आनंद नेवतिया ने भी कहा कि आरबीआई तरलता में कमी लाने के लिए सीआरआर बढ़ाने के साथ रेपो दर में 0.35-0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है.