FY2024-25 के लिए RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीसरी मीटिंग का फैसला आ गया है. सुबह 10 बजे आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्‍त दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने बैठक के नतीजे घोषित करते हुए बताया कि इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. MPC के 6 में से 4 सदस्‍य ब्‍याज दरों में बदलाव के पक्ष में नहीं. फिलहाल रेपो रेट 6.50% पर बरकरार रखा गया है. बता दें कि Zee Business के पोल में भी रेपो रेट के न बढ़ने की बात कही गई थी, जो कि सही साबित हुई है. इसका मतलब है कि आम आदमी को फिलहाल होम लोन, ऑटो लोन समेत तमाम तरह के कर्ज पर EMI को लेकर कोई राहत नहीं मिलेगी.

महंगाई 4% पर लाने का प्रयास जारी

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अपनी स्‍पीच के दौरान गवर्नर ने कहा कि महंगाई को लेकर आरबीआई सतर्क है. दुनियाभर से महंगाई कम होने के संकेत मिल रहे हैं. उम्मीद है कि मुद्रास्फीति कम होगी. घरेलू विकास में तेजी बनी हुई है. सर्विस सेक्‍टर का प्रदर्शन काफी बेहतर है. महंगाई दर 4 फीसदी पर लाने के लिए आरबीआई का प्रयास जारी है. खाद्य महंगाई दर अभी भी चिंताजनक है. ज्यादा खाद्य महंगाई से हाउसहोल्ड महंगाई में बढ़ोतरी हो रही है. एमएसएफ रेट 6.75 फीसदी पर बरकरार है. घरेलू ग्रोथ में तेजी जारी रहेगी. प्राइस स्‍टैबिलिटी से ग्रोथ में तेजी आ रही है. रूरल खपत में सुधार से घरेलू ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा. साउथ वेस्‍ट मानूसन अब तक बेहतर है. खरीफ की बुवाई अच्‍छी है.

GDP ग्रोथ अनुमान 7.2 फीसदी पर बरकरार

ग्‍लोबल इकोनॉमी में अस्थिरता देखने को मिल रही है. मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में भी मजबूती जारी है. FY25 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 7.2 फीसदी पर बरकरार है. हाई बेस के चलते जुलाई में महंगाई दर कम रह सकती है. Q1FY25 में GDP 7.3% से घटाकर 7.1%, Q2 FY25 में GDP अनुमान 7.2% पर बरकरार, Q3 FY25 में GDP अनुमान 7.3% पर बरकरार, Q4 FY25 में GDP अनुमान 7.2% पर बरकरार.

FY25 में CPI अनुमान 4.5% पर बरकरार        

Q2 FY25 में CPI अनुमान 3.8% से बढ़कर 4.4%       

Q3 FY25 में CPI अनुमान 4.6% से बढ़कर 4.7%       

Q4 FY25 में CPI अनुमान 4.5% से घटाकर 4.3%       

Q1 FY26 में CPI अनुमान 4.4%       

लिक्विडिटी मैनेजमेंट को लेकर RBI का लचीला रुख

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि लिक्विडिटी मैनेजमेंट को लेकर आरबीआई का लचीला रुख बरकरार है. रुपए में कम उठापटक फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को दर्शाता है. FY25 में अब तक रुपए में दायरे में कारोबार रहा. बैंकों को डिपॉजिट बढ़ाने में दिक्कत आ रही है. बैंकों को नए फाइनेंशियल उत्पादों के जरिए बैंक डिपॉजिट बढ़ाने के निर्देश. निवेश के अन्य विकल्प होने से बैंक डिपॉजिट में कमी आई है.