पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में 13 हजार करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लोन देने के नियम सख्‍त कर दिए हैं. बैंक अब पूरी जांच पड़ताल के बाद ही ग्राहकों को लोन ऑफर कर रहे हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब आरबीआई गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) पर शिकंजा कस सकता है. खासकर उन एनबीएफसी का लाइसेंस खत्‍म कर सकता है, जिनके पास लोन बांटने को पर्याप्‍त पूंजी नहीं बची है. जानकारों का कहना है कि आरबीआई ऐसी एनबीएफसी की समीक्षा कर रहा है. ऐसी एनबीएफसी की संख्‍या 1500 के करीब है. साथ ही नई एनबीएफसी को मंजूरी देने के नियमन भी कड़े कर सकता है.

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सैकड़ों कंपनियां बाजार से हो जाएंगी गायब

आरबीआई के इस कदम से सैकड़ों कंपनियां बाजार से गायब हो जाएंगी. बड़ी एनबीएफसी उनका अधिग्रहण कर सकती हैं. विशेषज्ञों की राय में इससे सबसे बड़ी परेशानी छोटे कर्जधारकों को होगी. देश की 1.3 आबादी का एक तिहाई हिस्‍सा छोटे कर्जधारकों का है. उन्‍हें घर, कार या अन्‍य कोई लोन नहीं मिल पाएगा. टाइम्‍स नॉऊ की खबर के मुताबिक एनबीएफसी सेक्‍टर को आईएल एंड एफएस के डूबने से बड़ा झटका लगा है. उस पर लोन डिफॉल्‍ट के गंभीर आरोप हैं.

क्‍या हुआ आईएल एंड एफएस में

बीते दिनों इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (ILFS) वित्तीय सेवाओं के एमडी और सीईओ रमेश सी बावा ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने ऐसे समय में इस्तीफा दिया जब कंपनी ऋण भुगतान में कथित चूक और कॉरपोरेट संचालन से जुड़े मुद्दों को लेकर संकट का सामना कर रही है. कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों-रेणु चाल्लू, सुरिंदर सिंह कोहली, शुभलक्ष्मी पानसे और उदय वेद के साथ-साथ गैर-कार्यकारी निदेशक वैभव कपूर ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बुनियादी ढांचे से जुड़ा समूह आईएलएंडएफएस वित्तीय खुलासे में कथित चूक एवं कॉरपोरेट संचालन से जुड़े मुद्दों को लेकर सेबी सहित विभिन्न नियामकों के जांच की दायरे में आ गई है.