वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती कर आम उपभोक्ताओं को राहत दी, लेकिन इसके बाद सबकी निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक पर टिक गई है, जो शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान ब्याज दरों में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकता है. यदि ऐसा हुआ तो आम लोगों के लिए लोन महंगा हो जाएगा.

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रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक इस समय चल रही है और विशेषज्ञ अनुमान जता रहे हैं कि रिजर्व बैंक रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. रेपो रेट के आधार पर ही बैंकों द्वारा आम लोगों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दर तय होती है. इस बारे में कल घोषणा की जाएगी. 

रिजर्व बैंक के लिए ये बहुत मुश्किल फैसला होगा क्योंकि एक तरफ तो कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है और रुपये का कमजोर हो रहा है और इससे महंगाई बढ़ने का दबाव है. वहीं दूसरी ओर बैंकिंग संकट के चलते मनी मार्केट में तरलता का संकट है. यानी लोगों को आसान शर्तों पर उधारी नहीं मिल रही है. ऐसे में ब्याज दरों में बढ़ोतरी से वित्तीय बाजार की स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ जाएंगी.

चूंकि मौद्रिक नीति में सबसे अधिक जोर महंगाई को नियंत्रण में रखने पर दिया जाता है, इसलिए संभावना है कि केंद्रीय बैंक दरों में बढ़ोतरी का फैसला ले. यदि ऐसा होता है कि केंद्रीय बैंक द्वारा ये लगातार तीसरी बार दरों में वृद्धि होगी. इस समय रेपो रेट 6.50 प्रतिशत है. रिजर्व बैंक ने करीब साढ़े चार साल बाद इस साल जून और अगस्त के दौरान रेपो रेट में बढ़ोतरी की. 

इससे पहले सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में एक अक्टूबर से बढ़ोतरी करके इस बाद के संकेत दे चुकी है कि अब कम ब्याज दरों के दिन खत्म होने वाले हैं और आने वाले दिनों में कर्ज महंगा होगा. यदि ऐसा होता है तो अर्थव्यवस्था में निवेश पर असर पड़ेगा और इससे रोजगार के अवसर भी उम्मीद के मुताबिक बढ़ नहीं पाएंगे. इसके साथ ही होम लोन, पर्सनल लोन या कार लोन लेने वाले लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा.