RBI गवर्नर की स्पीच से मिल गया इशारा... कम होने वाला है ब्याज! होम लोन के EMI पर मिलेगी बड़ी खुशखबरी
RBI Monetary Policy: आरबीआई गवर्नर ने अपनी स्पीच में महंगाई के आंकड़ों में राहत का जिक्र तो किया लेकिन उन्होंने इसका इशारा भी किया महंगाई को लेकर आरबीआई की चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या रेपो रेट में कटौती की संभावनाएं बन रही हैं?
RBI Monetary Policy: केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आज गुरुवार को नीतिगत ब्याज दरों (RBI Repo Rate) में उम्मीद के मुताबिक कोई बदलाव नहीं किया है. अप्रैल की मीटिंग में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था और जैसाकि महंगाई के आंकड़ों में गिरावट आई थी, ऐसे में पहले से उम्मीद जताई जा रही थी कि रेपो रेट को स्थिर रखा जाएगा. अगले दो महीनों के लिए रेपो रेट को 6.50% पर ही रखा गया है.
रेपो रेट में कटौती पर सवाल
अब जब दूसरी बार भी रेपो रेट को स्थिर रखा गया है, तो अब सवाल उठ रहा है कि आखिर रेपो रेट में कटौती कब आएगी? आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी स्पीच में महंगाई के आंकड़ों में राहत का जिक्र तो किया लेकिन उन्होंने इसका इशारा भी किया महंगाई को लेकर आरबीआई की चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या रेपो रेट में कटौती की संभावनाएं बन रही हैं?
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क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?
मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा ने कहा कि पॉलिसी बहुत ही संतुलित लाई गई है. आरबीआई गवर्नर ने बहुत ही विनम्रता से यह दिखाया कि महंगाई को काबू में करने में सफलता मिल रही है. हालांकि, उन्होंने कहा कि महंगाई को अभी भी 4 फीसदी तक लाना है, ये अभी अचीव नहीं हुआ है. ये जरूर देखने वाली बात रही कि जैसा हमें लग रहा था कि एमपीसी के सदस्य अकोमेडेटिव स्टांस नहीं बदल पाएंगे, वही हुआ तो तो ऐसे में दिखता है कि अगर न्यूट्रल होते तो ऐसा मान सकते थे कि अगली बार रेट कट होगा. लेकिन रेट कट आएगा साल के अंत तक. अक्टूबर-नवंबर तक फेस्टिवल सीजन में रेट कट देखा जा सकता है. इसके पीछे जीडीपी ग्रोथ में आरबीआई के अनुमान में गिरावट हो सकता है. तीसरी और चौथी तिमाही में इन्होंने जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाया है और इंफ्लेशन घटाया है, ऐसे में अनिश्चितता बनी हुई है. अगले दो तिमाही में निश्चितता है.
लिक्विडिटी बढ़ने से क्या होगा फायदा?
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी स्पीच में कहा कि रुपये 2000 के नोट वापस आने से सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी. ऐसे में साफ है कि इससे बैंकों का डिपॉजिट बढ़ेगा और अगर बैंकों के पास डिपॉजिट बढ़ता है तो वो लोन पर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला नहीं ले सकते हैं, इससे भी ग्राहकों को लोन की महंगाई से राहत मिल सकती है.
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