भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) गवर्नर शक्तिकान्त दास ने गुरुवार को कहा कि अनसिक्योर्ड लोन पर कार्रवाई नहीं करने से ‘बड़ी समस्या’ पैदा हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियों पर आरबीआई की कार्रवाई से अनसिक्योर्ड लोन में ग्रोथ धीमी होने का वांछित प्रभाव पड़ा है. यहां आरबीआई के कॉलेज ऑफ सुपरवाइजर्स में वित्तीय मजबूती पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि अनसिक्योर्ड लोन पर प्रतिबंध इस दृष्टिकोण का परिणाम है कि अनसिक्योर्ड लोन में ग्रोथ के कारण इस बाजार में संभावित समस्या हो सकती है. 

अनसिक्योर्ड लोन बड़ी समस्या बन सकती थी

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उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर मुख्य मानदंड अच्छे दिख रहे हैं, लेकिन मानकों में ढील, उचित मूल्यांकन का अभाव और कुछ लोनदाताओं के बीच अनसिक्योर्ड लोन को बढ़ावा देने के लिए अंधी दौड़ में शामिल होने की मानसिकता के ‘स्पष्ट सबूत’ हैं. दास ने कहा, “हमने सोचा कि अगर इन कमज़ोरियों पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये एक बड़ी समस्या बन सकती हैं. इसलिए, हमने सोचा कि पहले से ही कार्रवाई करना और लोन ग्रोथ को धीमा करना बेहतर है.” 

क्रेडिट कार्ड सेगमेंट का ग्रोथ घटकर 23% पर आया

उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि आरबीआई की कार्रवाई का वांछित प्रभाव पड़ा है, क्योंकि अनसिक्योर्ड लोन में ग्रोथ वास्तव में धीमी हो गई है. दास ने कहा कि क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में ग्रोथ आरबीआई की कार्रवाई से पहले के 30 फीसदी से घटकर अब 23 फीसदी हो गई है, जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को बैंक लोन देने की ग्रोथ पहले के 29 फीसदी से घटकर अब 18 फीसदी हो गई है. पिछले वर्ष 16 नवंबर को आरबीआई ने गैर-जमानती लोन और NBFC को दिए जाने वाले लोन पर जोखिम भार बढ़ा दिया था, जिससे बैंकों को ऐसी परिसंपत्तियों पर अधिक मात्रा में पूंजी रखनी होगी. 

फाइनेंशियल सिस्टम अब अधिक मजबूत स्थिति में

आरबीआई गवर्नर ने कहा, “भारत का घरेलू वित्तीय तंत्र अब कोविड संकट के दौर में प्रवेश करने से पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूत स्थिति में है. भारतीय वित्तीय तंत्र अब बहुत मजबूत स्थिति में है, जिसकी विशेषता मजबूत पूंजी पर्याप्तता, गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) का निम्न स्तर और बैंकों व गैर-बैंकिंग लोनदाताओं की स्वस्थ लाभप्रदता है.”