RBI Governor Shaktikanta Das on NPA: रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने सरकारी और निजी बैंकों के बोर्ड के साथ 22 मई और 29 मई को बैठक की. बैठक इस मायने में खास थी कि पहली बार बैंकों के बोर्ड सदस्यों के साथ बैठक हुई. मकसद ये था कि बैंकों के बोर्ड को उनकी जिम्मेदारी और अधिकारों को याद दिलाया जाए, ताकि बोर्ड जागरूक बनें, बैंकों में गड़बड़ियों को लेकर ज्यादा सतर्क रहें, इसी बैठक में रिजर्व बैंक गवर्नर ने साफ-साफ कह दिया कि बैंक डूबे कर्जों को छिपाने और मुनाफा दिखाने के लिए जो-जो चालबाजियां करते हैं वो सब रेगुलेटर को पता हैं.

NPA को लेकर चेताया

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बैंकों के बांटे गए लोन डूब जाने पर एनपीए यानि डूबे कर्जों की श्रेणी में आ जाते हैं. बैंकों के लिए लंबे समय तक गले की हड्डी बने रहे एनपीए अब कम हो रहे हैं. लेकिन रिजर्व बैंक नहीं चाहता कि बैंक फिर से पुरानी राह पर लौटें. रिजर्व बैंक ने इसीलिए बैंकों के बोर्ड को नसीहत दी है. सब कुछ ठीक दिखाने के लिए इनोवेटिव अकाउंटिंग का इस्तेमाल न हो इस पर कड़ी नजर रखें.

NPA पर क्या चल रहा है खेल?

उन्होंने हवाला दिया कि किस तरह पहले रिजर्व बैंक की पकड़ में ऐसे मामले आए हैं. जैसे बैंकों का आपस में एक दूसरे के डूबे कर्जों को खरीदना, लोन मैनेजमेंट के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट जारी करना. एनपीए का दबाव कम दिखे इसलिए अच्छे कर्जदारों से खराब कर्जदारों के साथ स्ट्रक्चर्ड डील करना. इंटरनल या ऑफिस अकाउंट का इस्तेमाल कर कर्जदारों की देनदारी के लिए पैसों का इंतजाम करना. पुराने कर्जों को निपटाने के लिए बकाया अदायगी की तारीख के पहले, सीधे या फिर किसी सब्सिडियरी को लोन देकर एनपीए छुपाना. रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि ऐसे कई मामले पकड़ में आने के बाद दूसरे तरीके भी अपनाए जाने लगे. उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे तरीके अपनाने से किसका भला होता है.

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ऑडिट कमेटी को किया सावधान

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि बैंकों के फाइनेंशियल स्टेटमेंट भरोसे लायक रहें ये पक्का करना बोर्ड की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि बैंकों के बोर्ड की ऑडिट कमेटी को ऐसी चालबाजियों से सावधान रहना चाहिए. बोर्ड और ऑडिट कमेटी को स्टैट्यूचरी सेंट्रल ऑडिटर से भी बात करनी चाहिए ताकि बैंक की फाइनेंशियल रिपोर्टिंग ट्रांसपैरेंट और वाजिब रहे. गवर्नर ने कहा कि रिस्क मैनेजमेंट, कंप्लायंस और इंटरनल ऑडिट ये तीनों विभाग बैंकों के लिए डिफेंस पिलर की तरह काम करते हैं. इसलिए इन तीनों विभागों को पर्याप्त आजादी और वाजिब दर्जा मिलना चाहिए, ताकि ये ठीक से अपना काम कर सकें.

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इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की भी जिम्मेदारी

रिजर्व बैंक गवर्नर ने बैंकों के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को जिम्मेदारी याद दिलाई. कहा कि उनकी लॉयल्टी केवल बैंकों की भलाई के लिए होनी चाहिए. ये भी कहा कि बैंकों के रिलेटेड पार्टी सौदों पर इंडिपेडेंट डायरेक्टर्स की खास नजर रहनी चाहिए. जहां भी जरूरी हो मैनेजमेंट से सारी जानकारी मांगनी चाहिए ताकि सही फैसला ले सकें. गवर्नर ने ये भी कहा कि बैंकों के चेयरमैन के पास अपना कामकाज ठीक से करने के लिए पर्याप्त योग्यता होनी चाहिए. बोर्ड में किसी एक का ही नजरिया हमेशा ऊपर रहे ऐसा नहीं होना चाहिए.

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