RBI Foundation Day: कभी म्यांमार के लिए भी करेंसी जारी करता था RBI, आज के दिन हुई थी 'बैंकों के बैंक' की स्थापना
भारत में रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई थी. ये वो समय था, जब देश में अंग्रेजों का राज था और भारतवासी गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए थे. उस समय रिजर्व बैंक का पहला गवर्नर सर ओसबर्न स्मिथ को बनाया गया था.
1 अप्रैल का दिन ज्यादातर लोग April Fool’s Day के तौर पर सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी दिन 'बैंकों के बैंक' यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की भी स्थापना हुई थी? जी हां भारत में रिजर्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को हुई थी. ये वो समय था, जब देश में अंग्रेजों का राज था और भारतवासी गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए थे. उस समय रिजर्व बैंक का पहला गवर्नर सर ओसबर्न स्मिथ को बनाया गया था. आइए आपको बताते हैं कैसे हुई थी रिजर्व बैंक की स्थापना.
ऐसे हुई बैंक की स्थापना
साल 1926 में इंडियन करंसी एंड फाइनेंस से संबंधित रॉयल कमिशन ने भारत के लिए एक सेंट्रल बैंक बनाने का सुझाव दिया था. इसका उद्देश्य था कि करेंसी और क्रेडिट के कंट्रोल के लिए एक अलग संस्था बने और सरकार को इस काम से मुक्त किया जाए. इसके बाद साल 1927 में लेजिस्लेटिव असेंबली में इस संबंध में एक विधेयक पेश किया गया, लेकिन तमाम वर्गों के बीच सहमति न बन पाने के कारण उस विधेयक को वापस ले लिया गया. इसके बाद 1933 में भारतीय संवैधानिक सुधारों पर एक श्वेत पत्र लाया गया जिसमें रिजर्व बैंक की स्थापना का सुझाव दिया गया और लेजिस्लेटिव असेंबली में नया विधेयक पेश किया गया. 1934 में ये विधेयक पारित हो गया और 1 अप्रैल 1935 से आरबीआई ने भारत के सेंट्रल बैंक के तौर पर अपना कामकाज शुरू किया.
सेंट्रल ऑफिस कोलकाता में था
जब आरबीआई की स्थापना हुई, तब इसका सेंट्रल ऑफिस कोलकाता था और सर ओसबर्न स्मिथ को पहला गवर्नर बनाया गया था. बाद में सेंट्रल ऑफिस को मुंबई शिफ्ट कर दिया गया. समय के साथ जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र का स्वरूप बदलता रहा, वैसे-वैसे रिजर्व बैंक की भूमिकाओं और कामकाज में बदलाव होता गया.
म्यांमार के लिए भी जारी करता था करेंसी
तमाम लोगों को नहीं पता होगा कि आजादी से पहले साल 1942 तक आरबीआई भारत के अलावा म्यांमार जिसे तब बर्मा के नाम से जाना जाता था, के लिए भी करेंसी जारी करता था. हालांकि 1947 के बाद इसे बंद कर दिया गया. इतना ही नहीं, देश के आजाद होने के बाद रिजर्व बैंक ने कुछ समय तक पाकिस्तान को भी सेंट्रल बैंक की सुविधाएं दीं. 1948 के बाद इसे बंद किया गया. 1949 में भारत सरकार ने इसका राष्ट्रीयकरण किया. आज इसका पूरा स्वामित्व भारत सरकार के पास है. आरबीआई के सेंट्रल ऑफिस में गवर्नर बैठते हैं और यहीं पर केंद्रीय बैंक द्वारा नीतियां बनायी जाती हैं.
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