एक और बड़े बैंक का होगा मर्जर, 93 साल बाद बदल जाएगा बैंक का नामो-निशां
Written By: शुभम् शुक्ला
Mon, Apr 08, 2019 06:14 PM IST
पिछले कुछ सालों में बैंकों के कंसोलिडेशन को लेकर काफी चर्चा है. पिछले साल बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विजया और देना बैंक का मर्जर हुआ था. 1 अप्रैल 2019 से यह मर्जर अस्तित्व में आ चुका है. इस मर्जर के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा की बैंकिंग बदल गई है. वह देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया है. हालांकि, इसके नाम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया.
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एक और बड़े बैंक का होगा मर्जर, 93 साल बाद बदल जाएगा बैंक का नामो-निशां
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शेयरों में आया तगड़ा उछाल
करीब 93 साल पहले यानी 1926 में लक्ष्मी विलास बैंक की नींव रखी गई थी. 500 से ज्यादा ब्रांच रखने वाला यह बैंक इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. पिछले शुक्रवार को बैंक के बोर्ड ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के साथ मर्जर को मंजूरी दी थी. विलय की खबर से निवेशकों में भी जोश है. यही वजह है कि सोमवार को बैंक के शेयर पर सर्किट लग गया. यह लगातार दूसरा दिन था जब बैंक के शेयर में सर्किट लगा है.
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क्या मर्जर के पीछे की वजह
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शेयरधारकों को मिलेगा फायदा
लक्ष्मी विलास बैंक के पास फिलहाल देशभर में 569 शाखाएं हैं, इसके अलावा 1046 एटीएम भी हैं. वहीं, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के पास कुल 220 शाखाएं हैं. अगर मर्जर को मंजूरी मिलती है तो लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों को प्रति 100 शेयर के बदले इंडियाबुल्स के 14 शेयर मिलेंगे. आपको बता दें, लक्ष्मी विलास बैंक का शेयर 97 रुपए का है. वहीं, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस का शेयर 870 रुपए के आसपास है.
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मजबूत होगी एसेट
मर्जर के बाद बनने वाले वेंचर के पास अधिक और मजबूत खुदरा एसेट होगी. साथ ही कारोबार बढ़ाने के लिए अधिक पूंजी भी होगी. लक्ष्मी विलास बैंक की मार्च 2018 अंत में कुल एसेट 40,429 करोड़ रुपये थी और उसके पास 2,328 करोड़ रुपए की सेविंग फंड है. वहीं, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस की दिसंबर 2018 के अंत तक कुल एसेट 1,31,903 करोड़ रुपए थी और उसकी एकीकृत शुद्ध संपत्ति 17,792 करोड़ रुपये थी.
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ग्राहकों पर भी असर
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