मोहनदास करमचंद गांधी, महात्मा गांधी या फिर बापू किसी भी नाम से बुलाएं, गांधी जयंति पर राष्ट्रपिता को जरूर याद किया जाता है. आज उनकी 150वीं जयंति है. ऐसे में उनकी कुछ रोचक कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए. ये तो भी जानते हैं कि महात्मा गांधी ही वो शख्स हैं, जिनकी तस्वीर को भारतीय करंसी के ट्रेडमार्क के रूप में इस्तेमाल किया गया. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि उनकी ये तस्वीर आखिर आई कहां से...और क्यों देश की सरकार और आरबीआई ने महात्मा गांधी की ही तस्वीर को इस्तेमाल किया? आज उनकी 150वीं जयंति पर हम आपको बताएंगे नोट पर आई तस्वीर से जुड़ी कहानी.

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करंसी ट्रेडमार्क हैं महात्मा गांधी

भारतीय करंसी पर गांधीजी की तस्वीर अंकित है. देसी कागज पर छपने वाला नोटों पर भी ये ही तस्वीर अंकित है. ये हमारी करंसी का ट्रेडमार्क भी है. लेकिन, सवाल यह उठता है कि गांधीजी की यह तस्वीर कहां से आई, जो ऐतिहासिक और हिंदुस्तान की करंसी का ट्रेडमार्क बन गई. दरअसल, यह सिर्फ पोट्रेट फोटो नहीं, बल्कि गांधीजी की संलग्न तस्वीर है. इसी तस्वीर से गांधीजी का चेहरा पोट्रेट के रूप में लिया गया.

कहां की है यह तस्वीर

यह तस्वीर उस समय खींची गई, जब गांधीजी ने तत्कालीन बर्मा और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ कोलकाता स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात की थी. इसी तस्वीर से गांधीजी का चेहरा पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों पर अंकित किया गया. (फोटो: सन् 1996 से पहले चलन में था यह 10 रुपए का नोट)

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने किया बदलाव

आज हम भारतीय नोटों पर गांधीजी का चित्र देख रहे हैं, जबकि इससे पहले नोटों पर अशोक स्तंभ अंकित हुआ करता था. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 1996 में नोटों में परिवर्तन करने का फैसला लिया गया. इसके अनुसार अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का फोटो और अशोक स्तंभ की फोटो नोट के बायीं तरफ निचले हिस्से पर अंकित कर दी गई. अभी तक 5 रुपए से लेकर 1 हजार तक के नोट में गांधीजी की फोटो दिखाई देती है. इससे पहले 1987 में जब पहली बार 500 का नोट चलन में आया तो उसमें गांधीजी का वॉटरमार्क यूज किया गया था. सन् 1996 के बाद हरेक नोट में गांधीजी का चित्र अंकित हो गया.

सिर्फ 1 रुपए का नोट जारी करती है सरकार

करंसी ऑफ ऑर्डिनेंस के नियमानुसार एक रुपए का नोट भारत सरकार द्वारा, जबकि दो रुपए से लेकर 2000 रुपए तक की करंसी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी की जाती थी. वर्तमान में दो रुपए का उत्पादन बंद है, लेकिन पुराने नोट अभी भी चलन में हैं.

महात्मा गांधी से पहले किंग जॉर्ज की तस्वीर

इससे पहले तक नोटों पर किंग जॉर्ज की तस्वीर अंकित हुआ करती थी. भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनों में रहा. इसके बाद मुद्रा की दशमलव प्रणाली अपनाई गई और एक रुपए का निर्माण 100 पैसों में किया गया. महात्मा गांधी वाले कागजी नोटों की शुरुआत 1996 से शुरू हुई, जो अब तक चलन में है.

अशोक स्तंभ वाले नोट आए

ऊपर किंग जॉर्ज की फोटो वाला नोट और इसके बाद चलन में आए अशोक स्तंभ वाला 10 रुपए का नोट. ध्यान देने योग्य बात: भारतीय नोटों के अगले भाग पर अंकित चित्र समान होते हैं, लेकिन पिछले भाग पर अलग-अलग.