ऑनलाइन फंड ट्रांसफर के 4 ऑप्शन क्यों? जानिए UPI, NEFT, IMPS और RTGS में क्या अंतर है और इसके क्या फायदे हैं
Online fund transfer: अगर आप ऑनलाइन फंड ट्रांसफर करना चाहते हैं तो UPI, NEFT, IMPS, RTGS जैसे चार विकल्प मौजूद हैं. आइए जानते हैं कि चारों के क्या फायदे हैं और इनके क्या-क्या फीचर्स हैं.
Online fund transfer: ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का बोलबाला तेजी से बढ़ रहा है. वर्तमान में फंड ट्रांसफर के लिए मुख्य रूप से चार विकल्प उपलब्ध हैं. पहला विकल्प UPI है जो बेहद पॉप्लुयर माध्यम बन गया है. हर महीने यूपीआई की मदद से 10 लाख करोड़ से ज्यादा का ट्रांजैक्शन होता है. इसके अलावा NEFT, IMPS और RTGS की मदद से भी ऑनलाइन फंड ट्रांसफर किया जाता है. आपके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि फंड ट्रांसफर के लिए चार-चार विकल्प क्यों हैं और इसके क्या फायदे हैं.
RTGS के फायदे और अन्य डिटेल
Wint Wealth के को-फाउंडर और सीआईओ अंशुल गुप्ता ने कहा कि फंड ट्रांसफर के चारों विकल्प की अपनी अलग-अलग खासियत है. यही वजह है कि चारों विकल्प पॉप्युलर हैं. इंडियन पेमेंट इकोसिस्टम में चारों का अपना-अपना स्थान है. सबसे पहले RTGS यानी रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट के बारे में जानते हैं. इसे साल 2004 में लॉन्च किया गया था. उससे पहले बैंक की तरफ से इंडिविजुअल तौर पर फंड ट्रांसफर किया जाता था. इसमें रियल टाइम आधारित ट्रांजैक्शन सेटल होता है. इसका संचालन खुद रिजर्व बैंक करता है. आरटीजीएस की कोई अपर लिमिट नहीं होती है, हालांकि मिनिमम ट्रांजैक्शन वैल्यु 2 लाख रुपए होनी चाहिए. 14 दिसंबर 2020 से इसकी सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है. 2-5 लाख के ट्रांजैक्शन पर 25 रुपए और 5 लाख से ज्यादा का ट्रांजैक्शन करने पर 50 रुपए की प्रोसेसिंग फीस लगती है.
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NEFT के फायदे और अन्य डिटेल
ऑनलाइन पेमेंट का दूसरा तरीका NEFT है जिसे नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर भी कहते हैं. NEFT की शुरुआत 2005 में की गई. आज की तारीख में यह बेहद पॉप्युलर फंड ट्रांसफर विकल्प है. अभी UPI और IMPS का चलन ज्यादा है. लेकिन साल 2017 तक नेफ्ट में सालाना आधार पर 40 फीसदी का उछाल देखा जा रहा था. पहले नेफ्ट ट्रांसफर अलग-अलग बैच में सेटल किया जाता था जो एक दिन में एकबार होता था. बाद में इसे घटाकर 2-2 घंटे का कर दिया गया. अब हर बैच आधे-आधे घंटे में जाता है. नेफ्ट के लिए मिनिमम ट्रांजैक्शन की लिमिट नहीं है. 1 रुपए भी ट्रांसफर किए जा सकते हैं. इसका संचालन भी रिजर्व बैंक करता है. आरबीआई ने चार्ज नहीं वसूलने का निर्देश दिया है, लेकिन बैंक 2.25 रुपए से 24.75 रुपए तक चार्ज वसूलते हैं.
IMPS के फायदे और अन्य डिटेल
IMPS यानी इमीडिएट पेमेंट सिस्टम को साल 2010 में लॉन्च किया गया. उस समय तक RTGS, NEFT की मदद से लिमिटेड टाइम में ऑनलाइन फंड ट्रांसफर किया जाता था. बाद में NPCI यानी नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने कुछ बैंकों के साथ मिलकर आईएमपीएस को शुरू किया. यह 24x7 काम करता है. आधिकारिक रूप से इसे नवंबर 2010 में लॉन्च किया गया. शुरु में इसकी लिमिट 2 लाख थी जिसे बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया है. इसकी मदद से 24 घंटे रियल टाइम फंड ट्रांसफर किया जाता है. कई बैंक के लिए यह फ्री है तो कई बैंक 2.5 रुपए से लेकर 25 रुपए तक चार्ज वसूलते हैं.
मंथली ट्रांजैक्शन 10 लाख करोड़ के पार
अब बारी आती है UPI की जिसे यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस कहते हैं. पिछले कुछ सालों से इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ी है. हर महीने 10 लाख करोड़ का ट्रांजैक्शन यूपीआई की मदद से होता है. ट्रांजैक्शन की संख्या 600 करोड़ से ज्यादा होती है. UPI को साल 2016 में लॉन्च किया गया था. इसकी सुविधा 24x7 उपलब्ध होती है. अभी तक यह पूरी तरह मुफ्त है.