ऑनलाइन शॉपिंग या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को और मजबूत बनाने के लिए सरकार बड़ा बदलाव करने जा रही है. डिजिटल पेमेंट सिस्टम को ज्यादा सिक्योर करने के लिए OTP के साथ अब चेहरा और आइरिस (Iris) भी पासवर्ड के तौर पर इस्तेमाल होंगे. दरअसल, बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है. जल्द ही इसे लागू किया जा सकता है. इन फीर्चस से फ्रॉड पर रोक लगाई जा सकेगी. 

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भारत सरकार ने डिजिटल पेमेंट के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन लागू करने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें OTP (One Time Password) के साथ फेशियल रिकॉग्निशन, आइरिस स्कैन (Iris scan) और लोकेशन (Location) जैसे फीचर्स को एड किया जाएगा.

बिजनेस इंसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन गवर्नमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ वक्त में 1.3 बिलियन UPI ट्रांजेक्‍शंस रिकॉर्ड हुए हैं. बढ़ती ट्रांजेक्‍शंस को सिक्योर बनाना भी जरूरी है. डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए इन फीचर्स को जोड़ा जाना है. 

क्या-क्या फीचर्स जुड़ेंगे

OTP के साथ फेशियल रिकॉग्निशन, आइरिस, लोकेशन को जोड़ा जाएगा.

सभी फीचर्स की ऑथेंटिकेशन के बाद ही ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पूरी होगी.

मौजूदा सिस्टम में टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) का इस्तेमाल होता है.

अभी 3D पिन और OTP से ट्रांजेक्शन पूरी होती है.

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क्‍या है टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ?

टू-फैक्‍टर ऑथेंटिकेशन में डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ट्रांजैक्‍शन के दौरान सिक्योरिटी की दो लेयर होती हैं. फर्स्ट लेयर में ग्राहक की कार्ड डीटेल्स और CVV से ट्रांजैक्‍शन पूरी होती है और दूसरी लेयर में ओटीपी देने के लिए कहा जाता है, जो कस्टमर के मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है.

2019 से 2020 तक ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के चलते 18 सरकारी बैंकों को करीब 1.17 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. डिजिटल लेन-देन 13% की दर से बढ़ रहा है, जबकि मोबाइल वॉलेट में करीब 53% बढ़ोत्तरी की उम्मीद है. इस सबके चलते आरबीआई ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के खिलाफ सख्त कदम उठाने का विचार कर रहा है.