वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन नें कहा कि बीते पांच वित्त वर्षों ने बैंकों ने 10 लाख करोड़ से ज्यादा का बैड लोन राइट ऑफ किया है. इस दौरान बैंकों ने कुल 6.60 लाख करोड़ की रिकवरी की, जिसमें 1.32 लाख करोड़ राइट-ऑफ लोन से हैं. इसमें वे फंसे हुए कर्ज भी शामिल हैं जिसके एवज में चार साल पूरे होने पर पूर्ण प्रावधान किया गया है. वित्त वर्ष 2018-29 में सबसे ज्यादा लोन राइट ऑफ किए गए. उस साल 2.36 लाख करोड़ का लोन राइट-ऑफ किया गया. वित्तमंत्री ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में कहा कि NPA या फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डालते हुए उसे संबंधित बैंक के अकाउंट बुक से हटा दिया गया है. 

किस साल में कितना राइट-ऑफ किया गया?

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बता दें कि वित्त वर्ष 2018-18 में 1.63 लाख करोड़, 2018-19 में 2.36 लाख करोड़, 2019-20 में 2.34 लाख करोड़, 2020-21 में 2.02 लाख करोड़ और 2021-22 में कुल 1.74 लाख करोड़ का बैड लोन राइट ऑफ किया गया. रिकवरी की बात करें तो कैश में सबसे ज्यादा 2021-22 में 33534 करोड़ की रिकवरी हुई. 2019-20 और 2020-21 में 30-30 हजार करोड़ की कैश रिकवर हुई.

बैलेंसशीट क्लीन करने के लिए राइट-ऑफ किया जाता है

वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक जब किसी बैड लोन को राइट-ऑफ करता है तो वह उसके बैलेंसशीट से हट जाता है. हालांकि, बैंक की तरफ से रिकवरी की प्रक्रिया जारी रहती है. लोन राइट ऑफ होने से कर्ज लेने वालों को कोई फायदा नहीं होता है. टॉप-25 डिफॉल्टर की लिस्ट को रिजर्व बैंक ने सरकार से शेयर करने से इनकार कर दिया था.

1009511 करोड़ बट्टे खाते में डाला गया

सीतारमण ने कहा, ‘‘बैंक आरबीआई के दिशानिर्देशों तथा अपने-अपने निदेशक मंडल की मंजूरी वाली नीति के अनुसार पूंजी का अनुकूलतम स्तर पर लाने लिए अपने अपने बही-खाते को दुरूस्त करने, कर लाभ प्राप्त करने और पूंजी के अनुकूलतम स्तर प्राप्त करने को लेकर नियमित तौर पर एनपीए को बट्टे खाते में डालते हैं. आरबीआई से मिली जानकारी के अनुसार शेड्यूल कमर्शियल बैंक ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपए की राशि को बट्टे खाते में डाला है.’’

वसूली के उपाय जारी हैं

बैंक विभिन्न उपायों के माध्यम से बट्टे खाते में डाले गए राशि को वसूलने के लिये कार्रवाई जारी रखते हैं. इन उपायों में अदालतों या डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में मुकदमा दायर करना, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड  2016 के तहत मामले दर्ज करना और नॉन परफार्मिंग असेट्स की बिक्री आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि शेड्यूल कमर्शियल बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों के दौरान कुल 6,59,596 करोड़ रुपए की वसूली की है. इसमें बट्टे खाते में डाले गये कर्ज में से 1,32,036 करोड़ रुपए की वसूली शामिल है.

 

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(भाषा इनपुट के साथ)