क्या नए डेबिट कार्ड से नहीं हो पा रहा है ऑनलाइन ट्रांजैक्शन? ये हो सकती है वजह, ऐसे करें फिक्स
पुराना कार्ड एक्सपायर होने और नया कार्ड आने पर हम अकसर भूल जाते हैं कि ऑनलाइन पेमेंट के यूज के लिए हमें नए कार्ड को अलग से एक्टिवेट करना होगा.
अगर आपके बैंक से आपके बैंक अकाउंट के साथ आपको नया डेबिट कार्ड लिया है, या पहले वाला एक्सपायर होने के बाद बैंक ने आपको दूसरा कार्ड भेजा है, इसके इस्तेमाल के लिए आपको पहले एक्टिवेट करना होगा. ये बात आप जानते ही होंगे. लेकिन पुराना कार्ड एक्सपायर होने और नया कार्ड आने पर हम अकसर भूल जाते हैं कि ऑनलाइन पेमेंट के यूज के लिए हमें नए कार्ड को अलग से एक्टिवेट करना होगा. दरअसल, यूजर्स की सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) का यह नियम है कि कोई भी डेबिट या क्रेडिट कार्ड इशू होने पर बस ATM और पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल पर डोमेस्टिक ट्रांजैक्शन के लिए इनेबल होगा.
RBI अपने नियम में कहता है कि "कोई भी नया कार्ड, चाहे वो री-इशू ही क्यों न हो रहा है. बस ATM और PoS टर्मिनल्स पर घरेलू लेन-देन के लिए चालू रहेगा." इसके अलावा दूसरी सर्विसेज़ जैसे कि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, इंटरनेशनल ट्रांजैक्शंस और कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शंस को एक्टिवेट कराने के लिए आपको बैंक से कॉन्टैक्ट करना होगा.
नया डेबिट/क्रेडिट कार्ड ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए कैसे एक्टिवेट होगा
पहले तो आपको इसके लिए अपने बैंक के टोल-फ्री नंबर पर कॉल करना होगा. यहां आपको ट्रांजैक्शन प्रिफरेंस के लिए दिए गए इंस्ट्रक्शंस फॉलो करने होंगे.
Internent Banking के जरिए करें एक्टिवेट
- अपने बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं.
- अपनी यूजर आईडी और PIN डालकर लॉग इन करें.
- 'कार्ड एक्टिवेशन' ऑप्शन पर क्लिक करें.
- अपना कार्ड नंबर और एक्सपायरी डेट डालें. डेट ऑफ बर्थ पूछे जाने पर ये भी डालें. सबमिट पर क्लिक करें.
- नेक्स्ट पेज पर ATM PIN डालकर सबमिट करें.
- अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर OTP के लिए ऑथेंटिकेशन करें.
- कंटीन्यू पर क्लिक करें.
आपका कार्ड एक्टिवेट हो जाएगा.
ध्यान रखें... बंद भी हो सकती है सर्विस
आरबीआई के नियम के मुताबिक, अगर किसी कार्डहोल्डर को नया कार्ड रीइशू हुआ है और उसने इसके पहले अपने कार्ड को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन या कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन के लिए यूज नहीं किया है तो उसके बैंक के पास यह ऑप्शन रहेगा कि वो इस कार्ड के लिए यह सर्विस ही डिसेबल कर दें. रिस्क को देखते हुए बैंकों के पास यह अधिकार रहेगा कि वो किसी भी कार्ड को डिएक्टिवेट कर दें या रीइशू कर दें.