NEFT-RTGS Transaction: पैसे भेजे लेकिन बेनेफिशियरी को मिले ही नहीं? जानें ऐसी स्थिति में क्या कहता है RBI
NEFT RTGS Transaction: कभी-कभी कस्टमर्स के अकाउंट से NETF या RTGS या किसी भी तरह का मनी ट्रांजैक्शन करने पर ये फेल हो जाता है. ट्रांसफर के बाद बेनेफिशियरी के अकाउंट में पैसे नहीं पहुंचते. तो ऐसी सिचुएशन में क्या करें? आइए जानते हैं नियम.
NEFT RTGS Transaction: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया देश में ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के लिए कई चैनल उपलब्ध कराता है, जैसे- NEFT, RTGS और IMPS. छोटे अमाउंट के लिए IMPS और NEFT का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है, वहीं RTGS का इस्तेमाल हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शंस के लिए किया जाता है. लेकिन कभी-कभी कस्टमर्स ऐसी स्थिति का सामना भी करते हैं कि उनके अकाउंट से NETF या RTGS या किसी भी तरह का मनी ट्रांजैक्शन करने पर ये फेल हो जाता है. ट्रांसफर के बाद बेनेफिशियरी के अकाउंट में पैसे नहीं पहुंचते. तो ऐसी सिचुएशन में क्या करें? आइए जानते हैं नियम.
NEFT ट्रांजैक्शन फेल हो जाए तो?
NEFT या National Electronic Fund Transfer में आमतौर पर बेनेफिशियरी के अकाउंट में पैसे आने में 15 मिनट लगते हैं. कुछ मामलों में इससे ज्यादा टाइम भी लग सकता है. बहुत हुआ दो दो घंटों में बेनेफिशियरी को पैसे मिल सकते हैं. लेकिन अगर कुछ गड़बड़ी है तो हो सकता है पैसा बिल्कुल भी क्रेडिट ही न हो. हो सकता है कस्टमर ने बेनेफिशियरी का अकाउंट नंबर और दूसरी डीटेल्स गलत डाल दी हों. अगर डीटेल गलत नहीं हैं और फिर भी पैसे नहीं पहुंचे हैं तो आप कुछ टाइम तक इंतजार करके देख सकते हैं. इन मामलों में या तो पैसे दो घंटों के अंदर आ जाते हैं या फिर बैंक आपके ही अकाउंट पैसे रिटर्न कर देता है. अगर ऐसा नहीं होता है तब आपको बैंक के पास जाना चाहिए.
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क्या बैंक भरेगा जुर्माना?
RBI के नियम के मुताबिक, अगर ट्रांजैक्शन होने के दो घंटों के भीतर बेनेफिशियरी का अकाउंट क्रेडिट नहीं होता, या फिर सेंडर के अकाउंट में पैसे रिटर्न नहीं किए जाते, तो बैंक को इस पर जुर्माना भरना होता है. कस्टमर अपनी ओर से शिकायत कराता है या नहीं, इसका इंतजार किए बिना बैंक को RBI के LAF (Liquidity Adjustment Facility) Repo Rate के साथ जितने दिनों का डिले है, उसपर 2 पर्सेंट जुर्माना कस्टमर के अकाउंट में डालना होता है. अभी LAF Repo Rate 6.50% पर चल रहा है. इसमें 2 पर्सेंट जोड़ने पर बैंक को 8.50% की पेनाल्टी देनी होगी.
RTGS ट्रांजैक्शन फेल हुआ तो?
इस टाइप के ट्रांजैक्शन के लिए भी लगभग वही नियम हैं. आमतौर सेंडर के बैंक अकाउंट से ट्रांसफर कंप्लीट होने के बाद रियल टाइम में बेनेफिशियरी के अकाउंट में पैसे आ जाते हैं. बेनेफिशियरी बैंक को बेनेफिशियरी के अकाउंट में अगले 30 मिनट के अंदर अमाउंट क्रेडिट कर देना होता है और मैसेज भेज देना होता है, लेकिन अगर बेनेफिशियरी को पैसे नहीं मिलते हैं, तो बेनेफिशियरी बैंक को या तो पेमेंट इंटरफेस पर ट्रांजैक्शन रिसीट मिलने के 1 घंटे के भीतर या फिर RTGS बिजनेस डे के खत्म होने से पहले पैसे सेंडर के बैंक को भेजने होते हैं, जिसके बाद बैंक उसके अकाउंट में वापस भेज देता है. यहां भी बैंक को पेनाल्टी भरनी होती है. 6.50% LAF Repo Rate में 2 पर्सेंट जोड़ने पर बैंक को 8.50% की पेनाल्टी देनी होगी.
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बेनेफिशियरी की डीटेल गलत ही दी थीं तो क्या होगा?
अगर कस्टमर ने बेनेफिशियरी के अकाउंट की डीटेल ही गलत दी थीं तो वो इसे लेकर बैंक में लिखित ऐप्लीकेशन डाल सकता है और ट्रांजैक्शन कैंसल करने को कह सकता है. आप ऐसी स्थिति में फंसे नहीं, इसके लिए जरूरी है कि ट्रांजैक्शन करते वक्त ही बहुत अच्छे तरीके से अकाउंट नंबर और दूसरी डीटेल्स चेक कर लें.
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