इस वित्तवर्ष में रेपो रेट में कटौती (Repo Rate Cut) की जो आशाएं बंध रही थीं, वो धूमिल पड़ती जा रही हैं. लगातार ऐसे अनुमान आ रहे हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रेपो रेट (RBI Repo Rate) में कटौती पर अपना फैसला और आगे बढ़ा सकता है. अब बड़ी फाइनेंशियल सर्विसेज़ कंपनी Morgan Stanley के एनालिस्ट्स ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारत में इस वित्तवर्ष (FY25) में कोई रेट कटौती नहीं हो सकती है.

क्यों नहीं हो सकती है रेपो रेट में कटौती?

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Reuters के मुताबिक, मॉर्गन स्टैनली के विश्लेष्कों ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में रेपो रेट में किसी भी कटौती के आसार नहीं हैं. इसके पीछे अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक की पॉलिसी में बदलाव और दक्षिण एशियाई देशों में मजबूत वृद्धि को बताया गया है. अर्थशास्त्री उपासना छाछरा और बानी गंभीर ने लिखा है कि 'हमारा मानना है कि उत्पादकता में वृद्धि, निवेश दर में बढ़ोतरी और 4% से ऊपर चल रही महंगाई दर, साथ ही ऊंचे टर्मिनल फेड फंड रेट के चलते रेट ऊपर ही रह सकते हैं." उन्होंने कहा कि भारत में कैपेक्स और प्रोडक्टिविटी के चलते मजबूत ग्रोथ ट्रेंड ये संकेत देता है कि इंटरेस्ट रेट लंबे समय तक ऊपर ही रहेंगे.

दूसरे ब्रोकरेज ने भी रागा यही अलाप

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज और मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज को भी रेट कटौती पर बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा, “हम मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में दरों में आधा फीसदी की कटौती की अपनी अपील पर कायम हैं. इसके बावजूद हमें लगता है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दरों में कटौती के चक्र में देरी और ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के कारण आरबीआई की दरों में कटौती में और देरी हो सकती है.”

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मुद्रास्फीति और आईआईपी डेटा उम्मीदों के अनुरूप थे, जिसका मौद्रिक राजकोषीय नीति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा. ब्रोकरेज कंपनी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि अगले साल खुदरा महंगाई दर औसतन 4.5 प्रतिशत रहेगी. हमारे विचार में, दर में कटौती केवल वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में हो सकती है.”

क्या चल रहा है रेपो रेट?

बैंकों को रिजर्व बैंक की ओर से जिस दर पर लोन दी जाती है उसे रेपो रेट कहते हैं. ये दर जितनी ऊंची रहती है, बैंक अपने लोन पर उतना ब्याज बढ़ा देते हैं, ताकि अतिरिक्त बोझ को सहन कर सकें. इससे आपका लोन महंगा होता है. अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो बैंक इस कटौती को आगे आप तक भी पहुंचा सकते हैं यानी कि आपके लोन के ब्याज दरों में कटौती भी कर सकते हैं.

आरबीआई ने अप्रैल में हुई मीटिंग में रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखा था. ये लगातार सातवीं बार यानी एक साल से इस दर में कोई बदलाव नहीं आया है. लेकिन इसके पहले ताबड़तोड़ बढ़ोतरी भी हुई थी. लेकिन इसके पहले मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट में कुल 250 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की थी.