अगर आप छोटी बचत योजना में निवेश की योजना बना रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है. सरकार आगामी तिमाही में छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि इससे रिजर्व बैंक (Reserve Bank) की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को घटाने का रास्ता साफ होगा.

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सरकार ने मौजूदा तिमाही के दौरान बैंक जमा दरों (Bank Deposit rate) में कमी के बावजूद सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) जैसी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती नहीं की थी.

बैंकरों की शिकायत रही है कि छोटी बचत योजनाओं पर अधिक ब्याज दर के करण वे जमा दरों में कटौती नहीं कर पाते हैं और ऐसे में कर्ज भी सस्ता नहीं हो पाता है. इस समय एक साल की मैच्‍योरिटी वाली बैंकों की जमा दर और छोटी बचत दर के बीच लगभग एक प्रतिशत का अंतर है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि मौद्रिक नीति समिति (MCP) ब्याज दर में कटौती के बारे में फैसला करेगी और कोरोनावायरस (Coronavirus) से उपजी चुनौतियों से निपटने के लिए सभी विकल्पों पर विचार किया जाएगा. छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को तिमाही आधार पर संशोधित किया जाता है.

सरकार ने 31 दिसंबर, 2019 को पीपीएफ और एनएससी जैसी छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 7.9 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया था, जबकि 113 महीनों की परिपक्व वाले किसान विकास पत्र की दर 7.6 प्रतिशत रखी गई थी.

सरकार ने कहा था कि जनवरी-मार्च 2020 तिमाही के दौरान सुकन्या समृद्धि योजना 8.4 प्रतिशत की दर से प्रतिफल देंगी.