नई सरकार ने 100 दिन का एक्शन प्लान लागू करना शुरू कर दिया है. अलग-अलग सेक्टर्स में प्लान शेयर किए जा रहे हैं. एग्रीकल्चर, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय जैसे विभाग इसका ऐलान कर चुके हैं. अब बारी बैंकों की है. बैंक जल्द ही टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को गुड न्यूज दे सकते हैं. सरकार ने पब्लिक सेक्टर बैंक्स (PSB) को सुझाव दिया है कि वो टैक्स सेविंग (Tax saving) फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed deposit) पर टैक्सपेयर्स को थोड़ी राहत दे. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि यूनियन बजट 2024 (Union Budget 2024) में इसे लेकर ऐलान भी संभव है. इससे बैंकों के डिपॉजिट ग्रोथ को बूस्ट देने का इरादा है. हाल ही में कई बैंकों ने FD की ब्याज दरें भी बढ़ाई हैं. 

Taxpayers को क्या मिलेगा तोहफा?

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नई सरकार ने पब्लिक सेक्टर बैंकों को सुझाव दिया है कि वो टैक्स सेविंग FD का लॉक इन पीरियड 5 साल से घटाकर 3 साल करें. सरकार का सुझाव है कि इससे बैंकों के डिपॉजिट ग्रोथ में तेजी आएगी. साथ ही FDs पर मिलने वाले ब्याज से लोगों को रुझान एक बार फिर इस पारंपरिक निवेश की तरफ बढ़ेगा. बीते साल से बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ से ज्यादा क्रेडिट ग्रोथ हुई है. हाल ही में ज्यादातर बैंकों ने डिपॉजिट ग्रोथ बढ़ाने के लिए FD की ब्याज दरें भी बढ़ाई हैं. 

क्यों है ऐसा करने का सुझाव?

Tax Saving FD से ज्यादा निवेशकों को स्टॉक मार्केट, म्यूचुअल फंड और Tax saving equity linked saving schemes पसंद आ रही हैं. यहां ब्याज भी ज्यादा है और लॉक इन पीरियड का ज्यादा झंझट नहीं है. PSU बैंको को उम्मीद कि Tax saving FD का लॉक इन पीरियड 3 साल करने से निवेशकों को एक बार फिर इस तरफ खींचने का मौका मिलेगा. बीते साल 2023-2024 यानी कि FY24 मैं बैंकों में डिपॉजिट ग्रोथ जहां 12.9% रही तो क्रेडिट ग्रोथ 16.3% रही थी. FY21 के मुकाबले FY23 में भारतीय निवेशकों का निवेश शेयर मार्केट और बॉन्ड मार्केट में 0.5% से बढ़कर 0.8% हुआ है. वहीं, बैंकों में डिपॉजिट 6.2% से घटकर 4% आ गया. 

घटती डिपॉजिट ग्रोथ बैंकों की टेंशन

AMFI (Association of Mutual Funds) के मुताबिक, म्यूचुअल फंड कंपनियों का AUM (Assets under management) अप्रैल 2019 में 24.79 लाख करोड़ से बढ़कर 20 अप्रैल, 2024 तक 52.76 लाख करोड हुआ. बढ़ती क्रेडिट ग्रोथ और घटती डिपॉजिट ग्रोथ बैंकों के लिए चिंता का विषय है. क्योंकि, बैंकों को बाजार से पैसा उठाना पड़ता है, जिस वजह से लोन भी महंगे होते हैं. बढ़ती लोन और इंफ्रा की डिमांड से क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो बैंकों के लिए एक बड़ी सोच. डाटा के मुताबिक, साल 2022-2023 के मुकाबले सितंबर 2023 तक क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो 75.8% से बढ़कर 80% हो गया है.