जब खेत में फसल तैयार होती है तो किसान उसे सीधा मंडी ले जाते हैं. मंडी में एकसाथ बड़ी मात्रा में उपज पहुंचने से उसके दाम गिर जाते हैं और किसान को औनेपौने दामों पर अपनी फसल को बेचना पड़ता है. महाराष्ट्र, राजस्थान से इस तरह की खबरें आ रही हैं कि किसानों को उनके प्याज, लहसुन को 1-2 रुपये प्रति किलो में बेचना पड़ रहा है. यही हाल बीकानेर और जोधपुर की मंडियों में मूंगफली का है. किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचनी न पड़े, इसके लिए सरकार ने व्यवस्था की है कि उस फसल को वेयरहाउस में स्टोर करके रखा जा सकता है, जिस तरह किसान आलू को कोल्ड स्टोर में रखते हैं. लेकिन अब सवाल ये आता है कि किसान को पैसों की जरूरत होती है, इसलिए उसे अपनी उपज मंडी में बेचनी पड़ती है.

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केंद्र सरकार ने यह सुविधा दी है कि फसल तैयार हो चुकी है और बाजार में भाव अच्छे नहीं मिल रहे तो औने-पौने में बेचने की बजाय किसान नजदीकी गोदाम में जमा करा सकते हैं. और गोदाम से मिलने वाली रसीद पर किसान बैंक से बिना गारंटर के अनाज की कीमत का 70 फीसदी तक ऋण ले सकते हैं.

समस्तीपुर में शुरूआत

बिहार में पहली बार समस्तीपुर जिले के तीन किसानों ने गोदाम में रखे अपनी उपज की इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल रसीदों (ईएनडब्ल्यूआरएस) को गिरवी रख कर कर्ज की सुविधा का लाभ उठाया है. 

इन किसानों ने राष्ट्रीय ई-रिपोजिटरी लिमिटेड (एनईआरएल) के मंच पर अपने रेपोजेटरी खाते खोले हैं. कंपनी ने कहा कि समस्तीपुर में 16 किसानों ने एनईआरएल के साथ अपने ई-रेपोजेटरी (भंडारण) खाते खोले हैं. इनमें से तीन ने हाल ही में ई-एनडब्ल्यूआर बनाया है.

इन ईएनडब्ल्यूआर को कर्ज का कारोबार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी स्वकर्मा फाइनेंस के पास गिरवी रखा गया है, जो एनईआरएल के साथ एक रिपॉजिटरी प्रतिभागी है. किसानों के भंडार खाते उन वस्तुओं के लिए खोले गए हैं, जिन्हें ईआरजीओएस बिजनेस सॉल्यूशंस द्वारा प्रबंधित समस्तीपुर में एक वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) के पंजीकृत भंडारगृह में संग्रहित किया जाएगा.

वेयरहाउस रसीदें ‘नेगोशिएबल’ रूप में जारी की जाती हैं, जिससे वे वेयरहाउस (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2007 के तहत ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में योग्य हो जाते हैं. इस क्षेत्र का विनियमन डब्ल्यूडीआरए द्वारा किया जाता है.

एनईआरएल के प्रबंध निदेशक एवं सीइओ केदार देशपांडे ने बताया कि समस्तीपुर के साथ, यह ऐसी शुरुआत है, जहां 16 किसान सीधे खाता खोलने के लिए एनईआरएल में आए हैं. किसानों के लिए ई-एनडब्ल्यूआर से लाभ उठाने का यह पहला मौका है और हमें उम्मीद है कि इससे और अधिक किसान बोर्ड में आने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

उन्होंने कहा कि कंपनी किसानों को एक ऐसी सेवा के साथ सशक्त बनाने की उम्मीद करती है जो उनके भंडारण दस्तावेजों को आसानी से प्रबंधित करने में मदद करेगी और उन्हें उसके आधार पर मिलने में आसानी होगी.

(इनपुट भाषा से)