Credit Score: क्या है हार्ड इन्क्वायरी और सॉफ्ट इन्क्वायरी? क्या इससे कम हो जाता है आपका क्रेडिट स्कोर?
क्या बार-बार क्रेडिट स्कोर को चेक करने से सिबिल स्कोर कम हो जाता है? क्या हार्ड इन्क्वायरी और सॉफ्ट इन्क्वायरी का फर्क जानते हैं आप? अगर नहीं, तो यहां जान लीजिए इसके बारे में.
अगर आप लोन लेने की तैयारी में हैं, तो आपको मालूम होगा कि लोन के मामले में क्रेडिट स्कोर का अच्छा होना कितना जरूरी है. क्रेडिट स्कोर के आधार पर ही बैंक ये तय करते हैं कि आपको लोन देना चाहिए या नहीं और कितनी ब्याज दर पर दिया जा सकता है. क्रेडिट स्कोर जितना अच्छा होगा, लोन मिलने में उतनी ही आसानी होगी. आमतौर पर आपका क्रेडिट स्कोर कम से कम 700-750 से ऊपर होना चाहिए. इसे अच्छा क्रेडिट स्कोर माना जाता है.
आप अपना क्रेडिट स्कोर कई तरीकों से चेक कर सकते हैं. कई तरह की ऐप पर स्कोर चेक करने की सुविधा मिलती है. हालांकि तमाम लोगों का मानना है कि क्रेडिट स्कोर बार-बार चेक करने से आपका स्कोर कम होने लगता है? क्या ये सही है? क्या है हार्ड इन्क्वायरी और सॉफ्ट इन्क्वायरी? आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.
हार्ड इन्क्वायरी और सॉफ्ट इन्क्वायरी
क्रेडिट स्कोर दो तरह से चेक होता है. जब आप अपने स्कोर को किसी ऐप के जरिए चेक करते हैं तो इसे सॉफ्ट इन्क्वायरी कहा जाता है. वहीं जब कोई बैंक या NBFCs आपका क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं तो इसे हार्ड इन्क्वायरी कहते हैं.
क्या चेक करने से गिरता है क्रेडिट स्कोर
आमतौर पर सॉफ्ट इन्क्वायरी से आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. बल्कि अगर आप समय-समय पर अपना क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं, तो आप अपने स्कोर को लेकर जागरुक रहते हैं. ऐसे में स्कोर गिरने पर आप उसे सुधारने के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं. बल्कि कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट ये सलाह देते हैं कि क्रेडिट स्कोर 3-6 महीनों के पीरियड में चेक करना चाहिए. इसके अलावा आप अगर किसी भी तरह के लोन या फिर क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं तो आपको खासकर एक बार अपना क्रेडिट स्कोर जरूर चेक करना चाहिए.
लेकिन जब एक साथ कई लेंडर्स आपका क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं तो इससे आपके सिबिल स्कोर पर असर पड़ सकता है. इससे आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है. दरअसल जब कोई व्यक्ति लोन लेने जाता है तो वो एक साथ कई बैंकों में संपर्क करता है. उस समय बैंक की ओर से उसका सिबिल स्कोर चेक किया जाता है. इस तरह अलग-अलग बैंक जब किसी का सिबिल स्कोर चेक करते हैं तो उसमें गिरावट आ जाती है. आपके क्रेडिट रिपोर्ट में इसकी डीटेल दी जाती है कि आपके लिए कब–कब हार्ड-इन्क्वायरी की गई है.
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