Cibil Score कैलकुलेट करते समय देखी जाती हैं ये 5 चीजें, ये बात अगर समझ ली तो लोन लेने के लिए कभी नहीं होंगे परेशान
Written By: सुचिता मिश्रा
Mon, Nov 18, 2024 04:01 PM IST
आप जब भी किसी बैंक से लोन लेने जाते हैं तो वहां सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर (Cibil Score) देखा जाता है. सिबिल स्कोर को क्रेडिट स्कोर (Credit Score) भी कहा जाता है. सिबिल स्कोर एक तरह से आपका रिपोर्ट कार्ड जैसा जै जो आपकी पिछली रीपेमेंट हिस्ट्री के बारे में बताता है. हालांकि आपके क्रेडिट स्कोर को तय करने में और भी तमाम फैक्टर्स खास भूमिका निभाते हैं. अगर आपने इनके बारे में अच्छे से समझ लिया तो आप आसानी से अपने खराब स्कोर को भी अच्छा कर सकते हैं. अगर ये स्कोर अच्छा हो गया तो आपको लोन लेने में फिर कभी कोई परेशानी नहीं होगी. जानिए आखिर सिबिल स्कोर कैलकुलेट (Cibil Calculation) कैसे होता है.
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रीपेमेंट हिस्ट्री
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क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो
आपके पास जितनी क्रेडिट लिमिट है उसका जितना प्रतिशत आप उपयोग करते हैं, उतना ही आपका क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो होता है. क्रेडिट कार्ड की जितनी भी लिमिट है, उसकी 30 फीसदी तक का ही इस्तेमाल करें. बहुत ज्यादा बड़ी खरीद क्रेडिट कार्ड से करने से बचें. ज्यादा क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो ये दिखाता है कि आपकी क्रेडिट कार्ड पर निर्भरता बहुत ज्यादा है. इससे आपका सिबिल स्कोर प्रभावित होता है.
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क्रेडिट मिक्स
आपने कितने अनसिक्योर्ड लोन और कितने सिक्योर्ड लोन पहले लिए हैं, इससे आपका क्रेडिट मिक्स सामने आता है. उदाहरण के तौर पर अगर आपने पहले अन-सिक्योर्ड लोन जैसे पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड वगैरह कई बार लिए हैं, तो ये दर्शाता है कि आपके पास फंड की कमी है और क्रेडिट पर आपकी निर्भरता बहुत ज्यादा है. इससे आपके सिबिल स्कोर पर बुरा असर पड़ता है. वहीं अगर आप जरूरत पड़ने पर सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड दोनों तरह के लोन लेते रहे हैं, और सभी का भुगतान समय पर किया है, तो ये दिखाता है कि आप हर तरह के लोन को मैनेज करने में समर्थ हैं. ऐसे में आपका क्रेडिट मिक्स संतुलित रहता है और आपका सिबिल स्कोर बेहतर होता है. यही वजह है कि ज्यादातर एक्सपर्ट अनसिक्योर्ड लोन ज्यादा बार लेने के लिए मना करते हैं
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