Credit Score Calculator: किन चीजों पर निर्भर करता है आपका सिबिल स्कोर और इसे कौन तय करता है?
अगर आपका स्कोर बेहतर हो तो आपको आपको लोन आसानी से मिल जाता है और ब्याज दर भी काफी ठीक लग जाती है. लेकिन अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम हो तो लोन मिलना मुश्किल हो जाता है और अगर मिल भी गया तो ब्याज दर बहुत ज्यादा होती है.
अगर आप लोन लेना चाहते हैं तो इसमें क्रेडिट स्कोर की बहुत बड़ी भूमिका होती है क्योंकि क्रेडिट स्कोर के आधार पर ही ये तय होता है कि आपको लोन दिया जाना चाहिए या नहीं, और कितना दिया जा सकता है. अगर आपका स्कोर बेहतर हो तो आपको आपको लोन आसानी से मिल जाता है और ब्याज दर भी काफी ठीक लग जाती है. लेकिन अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम हो तो लोन मिलना मुश्किल हो जाता है और अगर मिल भी गया तो ब्याज दर बहुत ज्यादा होती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इस क्रेडिट स्कोर को किस आधार पर तैयार किया जाता है और इसे तैयार करता कौन है? आइए आपको बताते हैं-
किन चीजों पर निर्भर करता है क्रेडिट स्कोर
क्रेडिट स्कोर कई चीजों पर निर्भर करता है. 30% सिबिल स्कोर इस बात पर निर्भर करता है कि आप वक्त पर कर्ज चुका रहे हैं या नहीं, 25% सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड लोन पर, 25% क्रेडिट एक्सपोजर पर और 20% कर्ज के इस्तेमाल पर निर्भर करता है. क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. अगर आपका क्रेडिट स्कोर 750 या इससे ज्यादा है तो इसे अच्छा माना जाता है. 550 से 750 के बीच का स्कोर ठीक माना जाता है और 300 से 550 तक का स्कोर खराब माना जाता है.
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कौन तय करता है क्रेडिट स्कोर
तमाम क्रेडिट ब्यूरो आपके क्रेडिट स्कोर को जारी करते हैं. इनमें ट्रांसयूनियन सिबिल, इक्विफैक्स, एक्सपेरियन और सीआरआईएफ हाईमार्क जैसी क्रेडिट इंफर्मेशन कंपनियों को प्रमुख माना गया है, इन कंपनियों को लोगों के वित्तीय रिकॉर्ड इकट्ठा करने, इसे मेंटेन करने और इस डेटा के आधार पर क्रेडिट रिपोर्ट / क्रेडिट स्कोर जेनरेट करने का लाइसेंस प्राप्त है. क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच तय किया जाता है. इसे 24 महीने की क्रेडिट हिस्ट्री के हिसाब से तय किया जाता है.
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क्रेडिट स्कोर न होना भी ठीक नहीं
कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने कभी कोई लोन नहीं लिया और न ही वे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे लोगों का क्रेडिट स्कोर होता ही नहीं है क्योंकि उनके क्रेडिट की कोई हिस्ट्री नहीं होती है. इसे भी ठीक नहीं माना जाता है क्योंकि क्रेडिट इंफर्मेशन कंपनियां ये जान नहीं पातीं कि आपको लोन के मामले में जोखिम वाली श्रेणी में रखा जाए या नहीं. क्रेडिट स्कोर न होने पर तमाम वित्तीय संस्थान आपको लोन देने में हिचकते हैं.