साल 2024 में आरबीआई की पहली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग के नतीजे आज 8 फरवरी को सामने आ चुके हैं. रिजर्व बैंक ने छठवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट को एक बार फिर से 6.5% पर बरकरार रखा गया है. आमतौर पर देखा जाता है कि जब रेपो रेट बढ़ता है, तो लोन महंगे हो जाते हैं और एफडी (Fixed Deposit) पर बैंक की ओर से बेहतर ब्‍याज दरों की पेशकश की जाती है. पिछले एक साल में एफडी पर तमाम बैंकों में ब्‍याज दर बेहतर हुई है. 

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आज एक बार फिर से Repo Rates में बदलाव न होने के कारण उन लोगों के लिए राहतभरी खबर है जो फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट में निवेश करना पसंद करते हैं. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि आने वाले समय में रेपो रेट को घटाया जा सकता है. रेपो रेट घटने के बाद आपको बैंकों में एफडी की बेहतर ब्‍याज दरों का कितना फायदा मिलेगा, इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता. लेकिन मौजूदा समय एफडी में निवेश करने के लिहाज से काफी बेहतर अच्‍छा बताया जा रहा है. माना जा रहा है कि इस समय ज्‍यादातर बैंकों में एफडी रेट्स अपने उच्‍चतम स्‍तर पर हैं.

रेपो रेट बढ़ने से एफडी रेट्स क्‍यों बढ़ते हैं?

रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंक एफडी पर बेहतर ब्‍याज की पेशकश क्‍यों करने लगते हैं, ये सवाल तमाम लोगों के मन में होगा. तो जवाब बता दें कि जब रेपो रेट बढ़ता है तो आरबीआई बैंकों को कर्ज महंगी दर पर देते हैं और बैंक एक्स्ट्रा बोझ आपके लोन पर डाल देता है. यानी आपसे लोन के बदले ज्‍यादा ब्‍याज वसूल करता है. ऐसे में बैंक वो लोन के तौर पर ग्राहकों को रकम दे रहे होते हैं और आरबीआई को अपना ब्याज भी चुकाते हैं, ऐसे में  उनके पास कैश की कमी न हो, इसके लिए बैंक फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट स्‍कीम को आकर्षक बनाते हैं, ताकि ज्‍यादा ब्‍याज दरों से आकर्षित होकर ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग एफडी करवाएं. इससे बैंक के पास डिपॉजिट बढ़ जाता है और कैश की कमी नहीं होती.

लंबे समय ने नहीं बदले रेपो रेट

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से आखिरी बार फरवरी में 25 बेसिस प्वाइंट की बढोतरी की गई थी. उस वक्त रेपो रेट को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी किया गया था. उसके बाद से लगातार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा हुआ है. हर बार बदलाव की उम्मीद की जाती है, लेकिन कोई बदलाव नहीं होता है. रेपो रेट पहले ही काफी ऊंचे स्तर पर है तो अब उम्मीद की जा रही है कि इसमें गिरावट आएगी. बैंक आने वाले वक्त में इसमें कटौती कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो एफडी की ब्याज दरें भी घट सकती हैं.