Banks Privatisation: देश में क्या सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन होना चाहिए? इस सवाल के जवाब में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की पूर्व प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य (Arundhati Bhattacharya) ने कहा है कि भारत को 'कम' लेकिन मजबूत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की जरूरत है, और छोटे बैंकों का निजीकरण या विलय किया जा सकता है. SBI की पूर्व प्रमुख ने आगे कहा कि सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन (Bank's Privatisation) के माध्यम से जिन लक्ष्यों को हासिल करने की उम्मीद है, वे वास्तव में सरकारी बैंकों को सक्षम करके और स्थिति को सभी के लिए समान करके प्राप्त किया जा सकता है. RBI के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव (D Subbarao) के सुझाव पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्राइवेटाइजेशन कभी भी सभी समस्याओं का जवाब नहीं है.

बैंकों का निजीकरण नहीं है हल

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सुब्बाराव ने हाल ही में सुझाव दिया था कि सरकार को सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए 10 साल के रोड मैप के साथ आना चाहिए. इससे स्टेकहोल्डर्स को बहुत सहायता मिलेगी. जिसके जवाब में उन्होंने कहा था, "मैं वास्तव में विश्वास नहीं करती कि हमें इतने सारे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की आवश्यकता है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या में कमी की जा सकती है."

उन्होंने आगे कहा कि इनमें से कुछ बैंकों का प्राइवेटाइजेशन किया जा सकता है और शायद कुछ मजबूत बैंक अभी भी सरकारी बैंक बने रह सकते हैं. 

2020 सरकार ने किया था 10 सरकारी बैंकों का मर्जर

बता दें कि 2020 में, सरकार ने 10 बड़े नेशनल बैंकों का मर्जर करके चार बड़े सरकारी बैंकों में बदल दिया था, जिससे देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) की संख्या घटकर 12 रह गई. 2021-22 के केंद्रीय बजट में, सरकार ने वर्ष में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश की नीति को मंजूरी दी. सरकारी थिंक-टैंक NITI Aayog पहले ही दो बैंकों और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन का सुझाव दे चुका है.

डिजिटल बैंक का चलन आएगा

नीति आयोग के फुल-स्टैक डिजिटल बैंक (Digital Bank) स्थापित करने के प्रस्ताव पर भट्टाचार्य ने कहा कि 17 से 25 आयु वर्ग के लोग बैंकों की शाखाओं में नहीं जाते हैं. अब अगर ग्राहकों की मांग है, तो किसी समय डिजिटल बैंक भी चलन में आएगा."

भट्टाचार्य ने बताया कि 2010 में उन्होंने इस तरह के लाइसेंस के लिए RBI से संपर्क किया था. तब उन्हें बताया गया था कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं था या ऐसा कोई विचार नहीं था. यह स्वीकार करते हुए कि फुल-स्टैक डिजिटल बैंक स्थापित करने में बहुत सारे जोखिम हैं, उन्होंने कहा, "परिवर्तन अपरिहार्य है. आप इसे रोकने की कोशिश कर सकते हैं, आप इसे आने में देरी करने की कोशिश कर सकते हैं. लेकिन आप इसे पूरी तरह से रोक नहीं सकते हैं."