केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों को महाविलय की घोषणा कर दी है. इस फैसले के तहत 10 सरकारी बैंकों का 4 बैंकों में विलय होगा. इस फैसले के बाद सरकारी बैंकों की संख्या अब 12 रह जाएगी. ऐसे में एक डर ये है कि क्या बैंकों के इतने बड़े स्तर पर मर्जर से कर्मचारियों की छंटनी भी होगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के विलय की घोषणा के साथ ही इस भ्रम को भी पूरी तरह दूर किया है. उन्होंने कहा है कि बैंकों के विलय से किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी, बल्कि इससे बैंकों का कारोबार बढ़ेगा, उनकी बैलेंसशीट मजबूत होगी और इसका पॉजिटिव इम्पैक्ट कर्मचारियों पर भी होगा.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय के बाद किसी भी प्रकार की छटनी नहीं की गई है. एक बैंक के अच्छे कार्यों को दूसरे बैंकों में भी लागू किया गया है.' सरकार का लक्ष्य भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियम इकोनॉमी बनना है. इसमें बैंकों की अहम भूमिका होगी. ऐसे में ऐसे बैंक चाहिए, जिनमें अधिक लैंडिंग कैपेसिटी हो, एडवांस टेकनालॉजी का इस्तेमाल हो और जो बेहतरीन सेवाएं प्रदान कर सकें.

देना बैंक के पूर्व एमडी रमेश सिंह ने जी बिजनेस से कहा कि देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के मर्जर के समय भी ऐसी आशंका जताई गई थी. उन्होंने कहा, 'उस समय सबने कहा कि जब तीनों बैंक एक ही फ्लोर पर होंगे, ब्रांच का मर्जर होगा, तो कुछ स्टाफ को हटाना पड़ेगा. लेकिन छह महीने हो गए हैं और एक भी शिकायत नहीं आई है.'

उन्होंने कहा कि जब ब्रांच का मर्जर हुआ तो बाकी लोगों को देश के दूसरे हिस्से में भेजा गया और बैंक के दूसरे कारोबार में लगाया गया. मर्जर से बैंक की बैलेंस शीट मजबूत हुई है. इसलिए ये फैसला हर तरह से बैंक कर्मचारियों के हित में है.