Bank Account Minimum Balance: बैंक में सेविंग्स अकाउंट (Savings Account) खुलवाने पर आपको एक मिनिमम बैलेंस का नियम (Minimum Balance Rule) फॉलो करना होता है. हर बैंक की अपनी एक अलग मिनिमम बैलेंस लिमिट होती है, जिसे कस्टमर को मेंटेन करना होता है. अगर अकाउंट में इससे नीचे पैसा होता है तो बैंक अकाउंटहोल्डर पर जुर्माना लगाता है जो उसके अमाउंट से ही कट जाता है. लेकिन अगर नियम बदल जाए तो? आपको मिनिमम बैलेंस से नीचे पैसा रखने पर भी जुर्माना न देना पड़े तो? इसे लेकर केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को जवाब दिया है. 

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दरअसल, वित्त राज्यमंत्री भगवंत किशनराव कराड (Bhagwant Kishanrao Karad) से पूछा गया था कि क्या केंद्र सरकार बैंकों को इस बारे में निर्देश देने पर विचार कर रही है कि जिन खातों में जमा राशि मिनिमम बैलेंस के लेवल से नीचे चली जाती है तो उन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाए? इसपर उन्होंने कहा कि बैंकों के निदेशक मंडल मिनिमम बैलेंस नहीं रखने वालों खातों पर जुर्माने को खत्म करने का निर्णय ले सकते हैं. कराड ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘बैंक स्वतंत्र निकाय होते हैं. उनके निदेशक मंडल जुर्माने को खत्म करने के बारे में निर्णय ले सकते हैं.’’

बता दें कि कि सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के  ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मिनिमम बैलेंस की लिमिट 1,000 रुपये, सेमी-अर्बन इलाकों के ग्राहकों के लिए 2,000 रुपये और मेट्रो सिटी में यह लिमिट 3,000 रुपये रखता है. HDFC और ICICI बैंक की मिनिमम बैलेंस लिमिट बड़े शहरों में 10,000 रुपये तक जाती है.

बैंक क्यों लगाते हैं मिनिमम बैलेंस का रूल?

बैंक बिजनेस हैं और आपसे उनका लागत निकलती है. वो चाहते हैं कि उनके पास पैसे हो, लिक्विडिटी बनी रहे. इससे वो और पैसा उधार दे सकते हैं. बैंकों को लोन वगैरह देने के लिए एक निश्चित अमाउंट तक का डिपॉजिट रखना होता है और अपना फाइनेंशियल रेशियो मेंटेन करना होता है, जिसकी लागत वो कस्टमर्स के डिपॉजिट और उनपर लगाए गए पेनाल्टी से भी निकालते हैं.

इसके अलावा आप जो पैसे जमा रखते हैं, और मिनिमम बैलेंस मेंटेन न होने पर जो पेनाल्टी भरते हैं, वो बैंक के मेंटेनेंस और ऑपरेशन में जाता है, इसलिए भी बैंक पेनाल्टी लगाने जैसे नियम रखते हैं.

(भाषा से इनपुट के साथ)

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