एयरपोर्ट पर बोर्डिंग पास के लिए लंबी लंबी लाइनें लगना पुरानी बात होने वाली है. यहां तक कि एयरपोर्ट में एंट्री करने के लिए भी बुकिंग और आईडी कार्ड दिखाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि आपका चेहरा ही आपका बोर्डिंग पास और आईडी कार्ड होगा.

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सरकार ने एयरपोर्ट के सफर को सुखद बनाने मकसद से एयरपोर्ट पर फेशियल रिकगनीशन (Facial Recognition System) सिस्टम लगाने की तैयारियां पूरी कर ली हैं. दिल्ली एयरपोर्ट पर आज से इसका ट्रायल भी शुरू हो गया है. टर्मिनल 3 पर विस्तारा एयरलाइंस के साथ मिलकर ये ट्रायल 3 महीने तक चलेगा. ट्रायल कामयाब होने पर इसे टर्मिनल 3 के साथ-साथ बाकी एयरपोर्ट पर भी लॉन्च कर दिया जाएगा.

ये काम कैसे करेगा

एंट्री गेट से लेकर डिपार्चर गेट तक पहुंचने में कम से कम 25 से 30 मिनट का वक्त लगता है. कभी-कभी इससे भी ज्यादा, लेकिन इस एडंवास फेशियल रिकगनीशन सिस्टम से आपका काम 2 से 3 मिनट में हो जाएगा.

कैसे होंगे एलरोल

सबसे पहले यात्री को फेशियल रिकगनीशन के लिए खुद को एनरोल कराना होगा. इसके लिए एयरपोर्ट पर रजिस्ट्रेशन कियोस्क होंगे, जहां यात्री को फ्लाइट टिकट और एक आईडी प्रूप दिखाना होगा. इसके बाद कैमरा यात्री की फेशियल डिटेल्स लेगा. CISF का जवान आपके पेपर्स को वेरिफाई करेगा और सिस्टम में फीड कर देगा.

डिपार्चर गेट पर लगे होंगे सिस्‍टम

इसके बाद यात्री सीधा डिपार्चर गेट की ओर चल देगा, जहां पर फेशियल रिकगनीशन सिस्टम लगे होंगे, यात्री के चेहरे को देखते ही गेट अपने आप खुल जाएंगे. अगर यात्री के पास सामान है तो उसे चेक-इन काउंटर पर देगा और अगर नहीं है तो सीधा सिक्योरिटी चेक गेट की तरफ चलेगा. यहां पर भी फेशियल रिकगनीशिन सिस्टम लगे होंगे, यहां से निकलने के बाद यात्री बोर्डिंग गेट की तरफ बढ़ेगा. वही सिस्टम यहां भी लगा होगा, जो यात्री को वेरिफाई कर बोर्डिंग गेट को खोल देगा.

ज्यादा तेज और आसान

ये पूरी प्रक्रिया बताने में जितनी लंबी लगती है, उससे कहीं ज्यादा तेज और आसान है. ना बोर्डिंग पास रखने का झंझट, ना बार बार आईडी-कार्ड दिखाने की परेशानी, सिर्फ एक बार रजिस्टर करना है, और हो गई एंट्री. अच्छी बात यह है कि दिल्ली एयरपोर्ट यात्री के डेटा को सफर खत्म होते ही डिलीट कर देगा. इसलिए डाटा चोरी और निजता हनन का भी खतरा नहीं.