आर्थिक संकट से जूझ रही एविएशन इंडस्ट्री और आसमान छूते हवाई किराए का सीधा असर यात्रियों पर पड़ रहा है. सरकार इस संकट का समाधान खोजने में लगी हुई है. नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने एविएशन सेक्रेटरी प्रदीप सिंह खारोला को आदेश दिया है कि हवाई किरायों को काबू में रखने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं. साथ ही जेट एयरवेज से जुड़े विभिन्न मुद्दों की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आसमान छूते हवाई किराये

निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के आर्थिक संकट में घिरने से एविएशन सेक्टर में मांग और सप्लाई का गणित लड़खड़ा गया है. यही कारण है कि कुछ दिन पहले जहां इंटरनेशनल रूट के हवाई किराये में बेहिसाब इजाफा हुआ है, वहीं अब घरेलू उड़ानों के किराये भी लगातार बढ़ रहे हैं. बीते सोमवार यानी 15 अप्रैल को दिल्ली मुंबई रूट का किराया 60 हजार रुपये तक पहुंच गया था.

सरकार ने उठाया कदम

जेट एयरवेज की बिगड़ती हालात और किरायों को काबू में रखने के लिए दोनों मुद्दों पर केंद्रीय विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने एविएशन सचिव से जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. इस समय जेट एयरवेज के बमुश्किल 5 विमान उड़ रहे हैं. इसके अलावा जेट एयरवेज ने अंतरराष्ट्रीय परिचालन को भी अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया है. इस कारण एविएशन सेक्टर में सप्लाई या फिर फ्लाइट ऑपरेशन के लिहाज से जबरदस्त गिरावट आई है.

जी बिजनेस Live TV यहां देखें

सुरेश प्रभु ने ट्वीट कर कहा, 'नागर विमानन मंत्रालय के सचिव को उड़ान की कीमतों में इजाफा, उड़ानों के रद्द होने और जेट एयरवेज से जुड़े मुद्दों की समीक्षा का निर्देश दिया है.' मंत्री ने सभी से यात्रियों के हित में काम करने का आह्वान किया है.

नरेश गोयल ने बोली प्रक्रिया से नाम वापस लिया

उधर, जेट एयरवेज के पूर्व चेयरमैन नरेश गोयल ने एयरलाइन में हिस्सेदारी खरीदने के लिए गुरुवार को शुरू होने वाली बोली से अपना नाम वापस ले लिया है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आठ अप्रैल को जेट एयरवेज में हिस्सेदारी बिक्री के लिए रुचि पत्र आमंत्रित किया था. एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के समूह की तरफ से एसबीआई कैप को कर्ज में डूबी एयरलाइन में हिस्सेदारी बिक्री की जिम्मेदारी मिली है. बिक्री के लिए 31 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रखी गई है. 

नरेश गोयल द्वारा नीलामी प्रक्रिया से नाम वापस लेने से जेट एयरवेज की सभी उड़ाने अस्थायी तौर पर रद्द हो सकती हैं, जिससे विमानन सेक्टर में विमानों का संकट और गहरा जाएगा. विमानों की कमी का असर हवाई किराए पर पड़ेगा. जानकार बताते हैं कि हवाई किरायों में तेजी से इजाफा हो सकता है.