उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में प्रस्तावित जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की राह में आई एक बड़ी बाधा दूर हो गई है. इसके साथ ही उम्मीद जताई जा रही है कि 2019 में इस एयरपोर्ट से उड़ान शुरू हो जाएंगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में किसानों द्वारा लगाई गई याचिकाओं को अदालत ने खारिज कर दिया है, जिसमें उनके द्वारा जमीन अधिग्रहण को चुनौती दी गई थी.

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इससे पहले गौतमबुद्ध नगर में जिला प्रशासन ने जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण के लिए किशोरपुर, रन्हेरा, परोही, रोही, दयानतपुर, बनबारीवास गांवों में जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. प्रशासन ने इसके लिए 70 प्रतिशत किसानों की सहमति ले ली थी. हालांकि कुछ असंतुष्ट किसानों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में 8 याचिकाएं दाखिल कीं. किसानों की मांग थी कि जमीन अधिग्रहण के लिए जो सोशल एसेसमेंट किया गया है, वो सही नहीं है और उसे खारिज किया जाए. इसके अलावा जमीन के चयन को भी चुनौती दी गई.

जेवर भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा. दिल्ली का हवाई अड्डा 24 सौ हेक्टेयर में है जबकि मुंबई का हवाई अड्डा 14 सौ हेक्टेयर में है. जेवर क्षेत्र यमुना नदी के किनारे बसे होने की वजह से हमेशा पिछड़ा क्षेत्र रहा है. यहां हवाई अड्डा बनने से क्षेत्र का चौमुखी विकास होगा.