Tata की हुई Air India, लगाई 18,000 करोड़ की बोली, 68 साल बाद Tata Group के हिस्से आई एयरलाइन
Air India bid: टाटा ग्रुप को आखिरकार एयर इंडिया मिल गई. 68 साल बाद अब फिर से एयर इंडिया का मालिक टाटा ग्रुप होगा. कंपनी ने एयरलाइन के लिए 18000 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी.
Air India bid: घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India airline) के लिए बोली टाटा ग्रुप (Tata group) ने जीत ली है. ग्रुप ने 18000 करोड़ रुपए में बोली जीती है. अब टाटा ग्रुप एयर इंडिया (Tata group owned Air India) का नया मालिक होगा. पिछले हफ्ते से ही चर्चा थी कि एयर इंडिया के लिए सबसे मजबूत नाम टाटा ग्रुप का है. मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव में टाटा ग्रुप को सबसे मजबूत मानते हुए एयर इंडिया ग्रुप को देने की वकालत की थी.
68 साल बाद फिर मालिक बना टाटा ग्रुप
एयर इंडिया की कमान 68 साल बाद फिर से टाटा ग्रुप के पास होगी. इसके लिए सबसे ज्यादा बोली टाटा ग्रुप ने लगाई थी. टाटा ग्रुप ने 18 हजार करोड़ रुपए में एयर इंडिया को खरीदा है. Dipam सचिव तुहीन कांता पांडे ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया. यह सौदा इस साल दिसंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. एयर इंडिया के लिए टाटा ग्रुप (Tata Group) और स्पाइसजेट (SpiceJet) के अजय सिंह ने बोली लगाई थी.
टाटा संस के चेयरमैन ने जताई खुशी
टाटा की इस जीत पर कंपनी के चेयरमैन एन चंद्रशेखरण ने कहा 'टाटा समूह में होने के नाते हम AIR INDIA के लिए विजेता होने से खुश हैं. यह एक ऐतिहासिक क्षण है, और हमारे समूह के लिए देश की ध्वजवाहक एयरलाइन का स्वामित्व और संचालन करना एक दुर्लभ विशेषाधिकार होगा. हमारा प्रयास होगा कि हम एक विश्व स्तरीय एयरलाइन का निर्माण करें, जो प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित करे. इस अवसर पर मैं इंडियन एविएशन की खोज करने वाले JRD Tata को श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनकी स्मृति हम संजोते हैं.'
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100 फीसदी हिस्सेदारी होगी
टाटा की एयर इंडिया और इसके दूसरे वेंचर एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 फीसदी हिस्सेदारी होगी. वहीं, जबकि ग्राउंड-हैंडलिंग कंपनी एयर इंडिया SATS एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में भी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. Dipam सेक्रेटरी के मुताबिक, टाटा की 18,000 करोड़ रुपए की सफल बोली में 15,300 करोड़ रुपए का कर्ज लेना और बाकी नकद भुगतान शामिल है. सरकार को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के एवज में टाटा संस से 2,700 करोड़ रुपए मिलेंगे.
एयर इंडिया: एक नजर
- 1932: जे आर डी टाटा ने टाटा एयरलाइंस शुरू की
- 1946: टाटा एयरलाइंस बना एयर इंडिया
- 1953: सरकार ने राष्ट्रीयकरण किया
- 2007: एयर इंडिया में इंडियन एयरलाइंस का विलय
- 2013: घाटे के चलते निजीकरण की उठी बात
- 2017: सरकार ने विनिवेश प्रक्रिया को दी मंजूरी
- 08 अक्टूबर 2021: टाटा ने एक बार फिर इसे हासिल किया.
रतन टाटा ने किया स्वागत
Tata Group को क्या-क्या मिलेगा?
एयर इंडिया को खरीदने वाले टाटा ग्रुप को घरेलू हवाई अड्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग अलोकेशन का कंट्रोल दिया जाएगा. कंपनी को एयर इंडिया की सस्ती एविएशन सर्विस एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी सौ प्रतिशत कंट्रोल मिलेगा.
दो कंपनियों ने लगाई थी बोली
डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सचिव ने बताया कि एयर इंडिया की नीलामी में दो कंपनियों ने बोली लगाई थी. इसमें टाटा संस (Tata Sons) की बोली सबसे ज्यादा 18 हजार करोड़ रुपये की रही. मंत्रियों के पैनल ने इस बिड को क्लियर कर दिया और इस प्रकार एयर इंडिया अब टाटा संस का हिस्सा बन गया है.
मंत्रियों के पैनल ने किया फैसला
उन्होंने कहा कि देश के बड़े आर्थिक फैसले पर विचार करने के लिए एक स्पेशल पैनल गया था. इस पैनल में गृह मंत्री, वित्त मंत्री, कॉमर्स मिनिस्टर और सिविल एविएशन मिनिस्टर शामिल रहे. पैनल ने सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श किया. इसके बाद बिड में सबसे बड़ी बोली लगाने पर टाटा संस को विजेता घोषित कर दिया गया.
एयर इंडिया का इतिहास
साल 1932 में उद्योगपति JRD Tata ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी. ब्रिटेन की शाही रॉयल एयर फोर्स के पायलट होमी भरूचा टाटा एयरलाइंस के पहले पायलट थे जबकि JRD Tata दूसरे पायलट थे. जेआरडी टाटा ने कराची से बंबई की उड़ान भरी थी. 15 अक्टूबर 1932 को इस उड़ान के दौरान उनके जहाज में डाक थी. बंबई से इस जहाज को नेविल विसें चेन्नई ट ले गए थे.