इस राज्य में बिना हेलमेट के रफ्तार नहीं भर पाएगी आपका टू-व्हीलर, जेब में धरे रह जाएंगे सारे दस्तावेज
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने टू व्हीलर्स से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए एक नई पॉलिसी की शुरुआत की है. उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन विभाग ने हेलमेट ना पहनने वालों को सीख के तौर पर तेल ना देने की अपील की है.
देश में सड़क हादसों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. देश में टू-व्हीलर से भी कई रोड एक्सीडेंट होते हैं और इसमें एक बड़ा कारण हेलमेट ना पहनना होता है. कई बार ऐसा देखा गया है कि हेलमेट ना पहनने की वजह से रोड एक्सीडेंट हो रहे हैं और लोगों की मौत हो जाती है. इसे रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाया है. उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने टू व्हीलर्स से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने के लिए एक नई पॉलिसी की शुरुआत की है. उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन विभाग ने हेलमेट ना पहनने वालों को सीख के तौर पर तेल ना देने की अपील की है. विभाग ने राज्य में ‘‘हेलमेट नहीं तो तेल नहीं’’ की नीति प्रस्तावित की है.
हेलमेट नहीं तो तेल नहीं
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने आठ जनवरी को एक आधिकारिक पत्र जारी कर पेट्रोल पंप संचालकों को निर्देश दिया कि वे हेलमेट लगाए बगैर पेट्रोल खरीदने के लिए आने वाले लोगों को तेल न दें. राज्य के सभी 75 जिलों के जिलाधिकारियों और संभागीय परिवहन आयुक्तों को भेजे गए पत्र में इस निर्देश को तत्काल लागू करने पर जोर दिया गया है.
इस पत्र में डाटा का हवाला दिया गया है जो दर्शाता है कि दोपहिया वाहन दुर्घटना के शिकार लोगों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की होती है जिन्होंने घटना के समय हेलमेट नहीं लगा रखा होता. मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य में हर साल सड़क हादसों में 25-26 हजार लोग मारे जाते हैं. पत्र में कहा गया है कि दोपहिया वाहन सवारों की सड़क दुर्घटनाओं में ज़्यादातर मौतें हेलमेट न पहनने के कारण होती हैं. इस नीति का उद्देश्य लोगों की जान बचाना और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
2019 में इस जिले में लागू
सिंह ने कहा कि यह पहल 2019 में गौतमबुद्ध नगर जिले में पहले भी शुरू की गई थी, लेकिन इसे व्यापक रूप से लागू नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि नए निर्देश में राज्य के सभी जिलों में नियम को सख्ती से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है. परिवहन आयुक्त ने इस नीति का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कदम भी सुझाए हैं. पत्र में कहा गया है, ‘‘ईंधन स्टेशन संचालकों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और उत्तर प्रदेश मोटर वाहन नियम, 1998 के प्रासंगिक प्रावधानों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए. इस नीति की सफलता के लिए पुलिस और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) के साथ नियमित समन्वय आवश्यक है.
सिंह ने पेट्रोल पंपों पर सुरक्षा संकेत लगाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘‘हेलमेट नहीं, ईंधन नहीं’’ प्रदर्शित करने वाले बोर्ड लगाए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करके जागरूकता अभियान बड़े पैमाने पर चलाए जाने चाहिए.
उल्लंघन करने पर अधिकारियों को सूचित
पंप कर्मियों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए और हेलमेट नहीं पहनने वाले दोपहिया सवारों को ईंधन देने से मना करना चाहिए, साथ ही बार-बार उल्लंघन करने वालों के बारे में अधिकारियों को सूचित करना चाहिए. परिवहन विभाग ने जनता से हेलमेट को न केवल अनिवार्य सुरक्षा उपाय के रूप में, बल्कि जीवन की रक्षा करने वाले एक महत्वपूर्ण कवच के रूप में मानने की भी अपील की. सिंह ने कहा, ‘‘इस पहल का उद्देश्य वाहन चालकों में जिम्मेदारी की भावना पैदा करना तथा सड़क पर सुरक्षित व्यवहार की संस्कृति विकसित करना है.