भारत सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और सप्लाई चेन के स्थानीयकरण पर जोर दे रही है. सरकार का टारगेट है कि 2030 तक देश में बिकने वाले 30% वाहन इलेक्ट्रिक हों. बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा अनुमान है कि टाटा और जेएसडब्ल्यू ग्रुप अकेले ही आने वाले दशक में इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन सामग्री बनाने में 30 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे, जिसमें से लगभग 10 अरब डॉलर दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया (एसएसईए) में होगा. दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के रूप में भारत के पास अपार संभावनाएं हैं. विशाल बाजार है जो ईवी से जुड़े निवेश को आकर्षित करता है.

EV पर होगा ज्यादा फोकस

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समय के साथ भारत में ईवी अपनाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी क्योंकि ऐसे मॉडल लॉन्च किए जाएंगे जो आईसीई मॉडल की कीमतों के अनुरूप होंगे और इसके साथ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा यह भी मानना ​​है कि हाइब्रिड और सीएनजी से चलने वाले वाहन, हल्के वाहन और यात्री वाणिज्यिक वाहन सेगमेंट में ईवी के साथ-साथ महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल करेंगे. 

सरकार ने हाल ही में पीएम ई-ड्राइव योजना शुरू की है, जिसका वित्तीय परिव्यय दो वर्षों की अवधि में 10,900 करोड़ रुपये है. पीएम ई-ड्राइव योजना ईवी अपनाने में तेजी लाने और देश भर में महत्वपूर्ण चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आईसीई से ट्रांजिशन प्योर इलेक्ट्रिफिकेशन के बजाय दूसरे वैकल्पिक फ्यूल की ओर होगा.

Hyundai-KIA का भी योगदान

आयात और विदेशी निवेश पर सरकार की नीतियां भारत के वाहन इलेक्ट्रिफिकेशन को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. भारत कोरियाई कंपनियों हुंडई मोटर और किआ के लिए लगातार महत्वपूर्ण बना हुआ है. जो संयुक्त रूप से भारत में दूसरे सबसे बड़े कार निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनाते हैं. भारतीय बाजार (वर्ष 2023 में) इस समूह की वैश्विक बिक्री मात्रा का 12 प्रतिशत हिस्सेदार था.

हुंडई भारत में निवेश की योजना पर काम कर रहा है, जिसमें लोकल ईवी उत्पादन को भी शामिल किया गया है. कंपनी भारत में बना अपना पहला पूरी तरह से इलेक्ट्रिक मॉडल जनवरी 2025 में पेश करेगी. कंपनी ने हाल ही में भारत में आईपीओ पेश किया है. इससे प्राप्त राशि का एक हिस्सा कंपनी के विकास को आगे बढ़ाने और बाजार में उत्पाद सुधार के लिए किया जाएगा.

टाटा मोटर्स भी करेगा निवेश

रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा मानना ​​है कि टाटा मोटर्स के पास अपने क्रेडिट मेट्रिक्स में ईवी निवेश करने के लिए पर्याप्त वित्तीय गुंजाइश है. सितंबर 2024 में, फर्म ने दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में एक नए ईवी प्लांट में लगभग 1 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना की घोषणा की. 

इसकी मूल कंपनी टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड ने उत्तर-पश्चिमी राज्य गुजरात में 20 गीगावाट घंटे की शुरुआती क्षमता वाले लिथियम-आयन बैटरी प्लांट में निवेश की भी घोषणा की है. यह प्लांट उस क्षेत्र में ईवी सप्लाई चेन के विकास में मददगार होगा. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि प्रमुख कार निर्माता अगले कुछ वर्षों में दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उत्पादन पर 20 अरब डॉलर से अधिक खर्च करेंगे.