पैसेंजर कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) के नाम एक बड़ी उपलब्धि हुई है. देश में पैसेंजर व्हीकल की लीडिंग कंपनी घरेलू बाजार और एक्सपोर्ट के मामले में माइलस्टोन हासिल किया है. कंपनी ने 3 मिलियन यानी कि 30 लाख के एक्सपोर्ट के आंकड़े को पार कर लिया है. 30 लाखवां ऐतिहासिक वाहन कल गुजरात के पिपावाव बंदरगाह से रवाना हुई 1,053 इकाइयों के शिपमेंट का हिस्सा था, जिसमें सेलेरियो, फ्रोंक्स, जिम्नी, बलेनो, सियाज, डिजायर और एस-प्रेसो जैसे मॉडल शामिल थे. कंपनी के अपने प्लांट से सबसे पहला यूनिट साल 1986 में एक्सपोर्ट किया था. 500 कारों की पहली बड़ी खेप सितंबर 1987 में हंगरी भेजी गई थी. 

ये रहा कंपनी के एक्सपोर्ट का सफर

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कंपनी ने वित्त वर्ष 2012-13 में वाहन निर्यात में 1 मिलियनवां मील का पत्थर हासिल किया, इसके बाद वित्त वर्ष 2020-21 में 9 साल से भी कम समय में अगला मिलियन हासिल किया. 2 मिलियन से 3 मिलियन संचयी निर्यात की प्रगति केवल 3 साल और 9 महीनों में हासिल की गई, जिससे यह मारुति सुजुकी के लिए सबसे तेज़ मिलियन बन गया.

4 साल पहले की तुलना में 3 गुना बढ़ा एक्सपोर्ट

कंपनी के एमडी और सीईओ Hisashi Takeuchi ने इस मौके पर कहा कि 30 लाखवां यूनिट का एक्सपोर्ट भारत के ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग एक्सलेंस को दर्शाता है. भारत सरकार की प्रमुख 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप, मारुति सुजुकी गहरे स्थानीयकरण और निर्यात को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. आज, भारत से निर्यात होने वाले 40% यात्री वाहन मारुति सुजुकी के हैं, जो हमें देश में नंबर 1 वाहन निर्यातक बनाता है. 

उन्होंने आगे कहा कि भारत से हमारा निर्यात 4 साल पहले की तुलना में 3 गुना बढ़ गया है. इस वैश्विक मांग से प्रेरित होकर, मारुति सुजुकी 2030-31 तक वाहन निर्यात में विविधता लाने और इसे 7.5 लाख यूनिट तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.