15 दिसंबर से सभी टोल नाकों पर फास्टैग (FASTag) अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार का दावा है कि फास्टैग (FASTag) से टोल नाकों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम में कमी आई है और लोगों का सफर आसान हुआ है. इतना ही नहीं फास्टैग से सरकार की आमदनी भी बढ़ी है. नेशनल हाइवे पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से पथ कर (टोल) कलेक्शन शुरू होने के साथ अब तक 1.10 करोड़ फास्टैग जारी किए गए हैं.

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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के मुताबिक, विभिन्न बिक्री केंद्रों (पीओएस) के जरिये अब तक करीब 1.10 करोड़ फास्टैग जारी किए गए हैं. राजमार्ग प्राधिकरण रोज करीब डेढ़ से दो लाख फास्टैग की बिक्री देख रहा है. फास्टैग की बिक्री और इस्तेमाल बढ़ने से 

रोजाना टोल प्लाजा पर टैक्स कलेक्शन करीब 46 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. फास्टैग व्यवस्था शुरू होने के आठ दिन के भीतर ही फास्टैग से रोजाना आधार पर टोल लेनदेन की संख्या करीब 24 लाख पर पहुंच गई है.

एनएचएआई ने यात्रा को सुगम बनाने के लिए 15 दिसंबर से देशभर के अपने 523 टोल प्लाजा पर  रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन आधारित (RFID technology) फास्टैग से पथ कर संग्रह शुरू किया था.

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फास्टैग रिचार्ज होने वाला प्रीपेड टैग है जिसका टोल पर अपने आप बिना रुके ऑनलाइन भुगतान हो जाएगा.

Fastag के फायदे

फास्टैग इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन की एक तकनीक है. इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) का इस्तेमाल होता है. इस टैग को गाड़ी के सामने वाले शीशे (विंडस्क्रीन) पर लगाया जाता है. आपकी गाड़ी जैसे ही टोल नाके के पास आती है, तो पर लगा सेंसर आपकी गाड़ी के शीशे पर लगे फास्टैग को ट्रैक कर लेता है. इसके बाद आपके फास्टैग अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला टैक्स कट जाता है. इस तरह आप टोल प्लाजा पर रुके बिना ही टैक्स का भुगतान कर पाते हैं. वाहन में लगा यह टैग आपके प्रीपेड खाते के सक्रिय होते ही अपना काम शुरू कर देगा. वहीं, जब आपके फास्टैग अकाउंट की राशि खत्म हो जाएगी, तो आपको उसे फिर से रिचार्ज करवाना पड़ेगा.