EV Policy Approved By Union Government: देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्टचरिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने ई-पॉलिसी को मंजूरी दे दी है. केंद्र सरकार ने 15 मार्च को ईवी पॉलिसी को मंजूरी दे दी है. इस पॉलिसी के तहत इलेक्ट्रिक 4-व्हीलर के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा. भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक इस ईवी पॉलिसी के तहत भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल और उसके प्रमोशन का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है. इस ईवी पॉलिसी (EV Policy) के तहत घरेलू ईवी मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस किया जाएगा.

कंपनियों को करना होगा निवेश

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पॉलिसी के तहत ऑटो मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को न्यूनतम 4150 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा. कंपनियों को फैसिलिटी के लिए 4150 करोड़ रुपए का मिनिमम इन्वेस्टमेंट करना होगा, हालांकि अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं तय की गई है. 

3 साल में तैयार करना होगा प्लांट

भारत को ईवी मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के तौर पर प्रमोट करने के लिए इस ईवी पॉलिसी को मंजूरी दी गई है. इस पॉलिसी के तहत 3 साल के अंदर भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट तैयार करना होगा और कमर्शियल इलेक्ट्रिक व्हीकल का प्रोडक्शन शुरू करना होगा. इसके अलावा पॉलिसी के तहत 3 साल में 25 फीसदी और 5 साल में 50 फीसदी घरेलू वैल्यू एडिशन की शर्त को मानना होगा.     

कंपनियों को मिलेंगे कई फायदे

पॉलिसी के तहत कंपनियों को कम कस्टम ड्यूटी लिमिटेड कार को इम्पोर्ट करना का फायदा मिलेगा. कंपनियों के अलावा कंज्यूमर को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को एक्सेस करना का मौका मिलेगा. इस पॉलिसी से ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलेगी. इम्पोर्ट कर Completely Built Up (CBU) लाने पर कस्टम ड्यूटी 15% लगेगी.

रेडी ऑटोमोबाइल पार्ट के इम्पोक्ट करने पर 15 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगेगी. फिलहाल रेडी ऑटोमोबाइल पार्ट के इम्पोर्ट करने पर 70% कस्टम ड्यूटी लगती है. ड्यूटी में छूट बस 5 साल के लिए ही है और एक साल में 8000 कारों पर ही इम्पोर्ट ड्यूटी की छूट मिलेगी. ऐसे में 5 साल में कुल 40000 कार पर छूट मिलेगी. सालना लिमिट पूरी न होने पर कैरी फॉरवर्ड का ऑप्शन मिलेगा. पॉलिसी के लिए 120 दिनों के भीतर सरकार एप्लीकेशन जारी करेगी.