देश में इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन टोटल व्हीकल्स में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की स्वीकार्यरता को और बढ़ाने के लिए कुशल यानी स्किल्ड लोगों की जरूरत पड़ेगी. भारतीय वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम (SIAM) ने ये बात सामने रखी है. सियाम का कहना है कि सरकार के 2030 तक कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की स्वीकार्यता को 30 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए भारतीय वाहन उद्योग को उस समय तक 2 लाख कुशल लोगों की आवश्यकता होगी. उद्योग निकाय ने कहा कि कार्यबल को काम पर रखने और प्रशिक्षित करने के लिए कुल 13,552 करोड़ रुपये के प्रतिभा निवेश की उम्मीद है. 

ईवी पर सरकार का ज्यादा फोकस

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सियाम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने भारतीय वाहन उद्योग में ईवी से संबंधित कार्यबल को मजबूत बनाने पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि वाहन उद्योग के सामने सबसे बड़ी बाधाओं में से एक इलेक्ट्रिक वाहन के लिए कुशल और सक्षम जनशक्ति की कमी है. अग्रवाल वोल्वो आयशर कमर्शियल व्हीकल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ भी हैं. 

कार्यबल का कौशल विकास जरूरी

उन्होंने कहा कि बैटरी प्रौद्योगिकी संचालित इलेक्ट्रॉनिक्स और मोटर डिजाइन के क्षेत्रों में विशेष रूप से कुशल कामगारों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वैश्विक रुझानों की गति को बनाए रखने और हमारे वाहन उद्योग को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इस बात की तत्काल आवश्यकता है कि हमारे कार्यबल का कौशल विकास हो. 

1-2 लाख लोगों की जरूरत

सियाम के उपाध्यक्ष शैलेश चंद्र ने कहा कि 2030 तक भारत को 30 प्रतिशत ईवी अपनाने के सरकार के मिशन को पूरा करने के लिए विशिष्ट कौशल वाले लगभग एक से दो लाख लोगों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रतिभावान लोगों की जरूरत कार्यालय में काम करने वालों से लेकर कारखाने में काम करने वालों तक होगी.