कार्बन एमिशन कम करने पर सरकार का फोकस! FY25 में दोगुनी होगी इलेक्ट्रिक बस की हिस्सेदारी
Electric Bus in India: एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगले वित्त वर्ष में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या में भारी इजाफा आने वाला है. रिपोर्ट में कहा गया है अगले साल यानी कि 2024-25 में कुल बस बिक्री में इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की हिस्सेदारी दोगुनी हो जाएगी.
Electric Bus in India: देश में पॉल्यूशन और कार्बन एमिशन को कम करने के लिए सरकार लगातार इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने पर फोकस कर रही है. इसी सिलसिले में ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां भी आगे आ रही हैं और इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) का प्रोडक्शन कर रही हैं. लेकिन अब कमर्शियल काम और पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इस्तेमाल होने वाली बसों को भी इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करने पर फोकस है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगले वित्त वर्ष में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या में भारी इजाफा आने वाला है. रिपोर्ट में कहा गया है अगले साल यानी कि 2024-25 में कुल बस बिक्री में इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की हिस्सेदारी दोगुनी हो जाएगी.
क्रिसिल की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
सप्लाई में देरी संबंधी जोखिमों और चार्जिंग स्टेशनों की कमी के बावजूद अगले वित्त वर्ष 2024-25 में कुल बस बिक्री में इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 8 परसेंट हो जाएगी. क्रिसिल रेटिंग्स ने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि सहायक नीति उपायों और अनुकूल स्वामित्व लागत के चलते ऐसा होने की उम्मीद है.
8% हो जाएगी इलेक्ट्रिक बसों की बिक्री
रिपोर्ट में कहा गया कि सार्वजनिक परिवहन पर जोर देने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के कारण कुल बस बिक्री में ई-बसों की हिस्सेदारी बढ़ेगी. अगले वित्त वर्ष में नई बिक्री में ई-बसों की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष के लगभग चार प्रतिशत से बढ़कर आठ प्रतिशत हो जाएगी.
इलेक्ट्रिक बसों की डिमांड क्यों बढ़ रही है?
हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने के लिए शुरू की गई फेम योजना और राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस कार्यक्रम (एनईबीपी) के तहत ई-बसों का उपयोग करने के लिए ठोस प्रयास चल रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि कम परिचालन लागत और कम शुरुआती अधिग्रहण लागत के चलते ई-बसों के प्रति रुझान बढ़ रहा है. एजेंसी के एक निदेशक सुशांत सरोदे ने कहा कि ई-बसों में वृद्धि इसलिए भी हो रही है क्योंकि 15 साल के अनुमानित जीवन काल में पेट्रोल/डीजल या सीएनजी बसों की तुलना में इनकी स्वामित्व लागत 15-20 प्रतिशत कम है.