Budget 2020 Expectations: ऑटो इंडस्ट्री की डिमांड, गाड़ियों पर 28 फीसदी से कम होना चाहिए GST
ऑटो इंडस्ट्री की बजट को लेकर मांग है कि टू-व्हीलर्स पर जीसटी की दरें 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी की जाएं.
बजट (Budget 2020) पेश होने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. समाज का हर वर्ग चाहे वह घरेलू महिला हो या फिर नौकरीपेशा करने वाला आम आदमी, चाहे वह कारोबारी हो या फिर कोई उद्योगपति, बजट को उम्मीदों भरी निगाह से देख रहा है कि जब 1 फरवरी को वित्त मंत्री बजट का पिटारा खोलेंगे तो उनके अपने-अपने हिस्से की राहत जरूर मिलेगी.
ऑटो इंडस्ट्री (Automotive industry) खासकर टू-व्हीलर इंडस्ट्री (two wheeler industry) पिछले काफी समय से संकट के दौर से गुजर रही है. टू-व्हीलर इंडस्ट्री पर पिछले कुछ सालों में काफी बोझ बढ़ा है. करीब डेढ़ साल पहले इंश्योरेंस की दर बढ़ गई हैं. एबीएस (Anti-lock braking system) सिस्टम जरूरी होने से व्हीकल्स की लागत बढ़ गई. इसके बाद बीएस-4 और फिर बीएस-6 की लागत बढ़ गई. इस तरह सभी खर्चों को मिलाकर टू-व्हीलर सेक्टर पर करीब 25 फीसदी लागत बढ़ गई है.
राकेश शर्मा कहते हैं कि ऑटो इंडस्ट्री वाले पूरी-पूरी साल कड़ी मेहनत करते हैं कि प्रोडक्शन कॉस्ट में 1 से 1.5 प्रतिशत की कमी आ जाए. और यह राहत ही पूरी इंडस्ट्री के लिए बड़ी बात होती है. लेकिन एक झटके में 20-25 लागत बढ़ना बहुत ही बड़ी बात है.
उनकी मांग है कि अगर सरकार किसी तरह से निर्माण लागत को कम कर सकती है तो यह ऑटो इंडस्ट्री के लिए बड़ी राहत होगी, खासकर टू-व्हीलर सेक्टर के लिए अच्छा रहेगा. टू-व्हीलर पर जीएसटी की दरों को कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए GST घटाकर 5 पर्सेंट किया है. इसी तरह पेट्रोलियम ईंधन की गाड़ियों पर से भी जीएसटी की दरें कम की जानी चाहिए. इस समय पेट्रोलियम व्हीकल्स पर जीएसटी की दरें 28 प्रतिशत हैं, इन्हें घटाकर 18 प्रतिशत किया जाना चाहिए.
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राकेश शर्मा कहते हैं, 'मुझे बजट से उम्मीदें हैं कि लोगों की जेब में और पैसा आए, हमारी अर्थव्यवस्था को लेकर उनमें विश्वास पैदा हो और लोग अपना खर्च बढ़ाएं.'
बता दें कि देश का टू-व्हीलर मार्केट 2019 में लगभग 14 पर्सेंट घटकर 1.85 करोड़ यूनिट होने का अनुमान है.