विश्व आर्थिक मंच यानी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की 50वीं सालाना बैठक 21 जनवरी शुरू होगी. फोरम में दावोस में दुनिया के दिग्गज जुट रहे हैं. स्विट्जरलैंड के इस छोटे से शहर में दुनिया के बड़े-बड़े सियासी और कारोबारी फ़ैसले परवान चढ़ते हैं. हर बार इस बैठक पर दुनिया की नजरें रहती हैं. इस बार भी दुनिया के देश कुछ ऐसे मुद्दों पर नजर रखे हुए हैं जिनका समाधान दावोस से निकल सकता है.

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ज़ी बिज़नेस (#ZeeBusinessatDavos) भी आपको दावोस से सीधे जानकारी देगा. स्विट्जरलैंड के मशहूर पर्यटन स्थल दावोस में ज़ी बिज़नेस लग्जरी कार सेगमेंट की लीडिंग कंपनी मर्सिडीज के सहयोग से आपके लिए सीधे लाएगा पल-पल की रिपोर्ट. 21 से 24 जनवरी तक होने वाली इस बैठक का हर एक्शन आप लाइव देख सकेंगे सिर्फ ज़ी बिज़नेस पर. 

1- जलवायु परिवर्तन पर ना-नुकुर नहीं

बीते कई साल में क्लामेट चेंज पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में बातें तो बहुत हुईं, लेकिन कई देशों ने फैसलों पर अमल करने पर इतनी गंभीरता नहीं दिखाई, पर्यावरण के मुद्दों को लेकर ग्रेटा थनबर्ग ने दुनिया के देशों को आइना दिखाया है, थनबर्ग ने विश्व नेताओं को चेताया कि ये क्लाइमेट चेंज नहीं बल्कि क्लाइमेट इमरजेंसी है. इस बार के WEF में थनबर्ग की चिंताओं पर गंभीरता से विचार होने की उम्मीद है. जलवायु परिवर्तन पर गंभीरता से कुछ करने की इसलिए भी जरूरत है कि क्योंकि 2019 में ग्लोबल CO2 एमिशन 0.6 परसेंट बढ़कर 3700 करोड़ टन तक पहुंच गया है. हालांकि एमिशन में कमी जरूर आई लेकिन बेहद मामूली. 2050 तक कार्बन न्यूट्रैलिटी को हासिल करने के लिए इसे जीरो करना पड़ेगा. इतना ही नहीं पेरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन सालाना 7.6 परसेंट कम करना होगा. लेकिन अब तक दुनिया की महाशक्तियों ने इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखाई है.

2- लैंगिक समानता पर ठोस फैसले

WEF 2006 से ही पुरुषों और महिलाओं के बीच एक ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स के जरिए मापता है, हैरानी की बात यह है कि 2020 इंडेक्स के मुताबिक दुनिया को लिंग समानता तक पहुंचने में अभी 100 साल लगेंगे. औसतन पूरी दुनिया में 55 महिलाएं लेबर मार्केट में हैं, जबकि पुरुष 78 परसेंट है, लेकिन एक ही काम के लिए महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 60 परसेंट कम सैलरी मिलती है. उम्मीद है कि इस बैठक में लिंग समानता को लेकर ठोस कदम उठाए जाएंगे.

3- डिजिटल क्रांति से बनेगी बेहतर दुनिया

डिजिटल जमाने में उपभोक्ताओं की पसंद भी बदल रही है, WEF के प्लेटफॉर्म पर कई साल से इस बात पर चर्चा हुई है कि कैसे उपभोक्ता किसी कंपनी का प्रोडक्ट सिर्फ इसलिए पसंद नहीं करता कि वह अच्छा और सस्ता है, उपभोक्ता अब यह भी देखता है कि कंपनी का समाज के लिए क्या योगदान है और इस बात को कोई कंपनी नजरअंदाज नहीं कर सकती. टेक्नोलॉजी की पहुंच का ही कमाल है कि उपभोक्ता के पास किसी कंपनी के बारे में वे सभी जानकारियां उपलब्ध हैं जो पहले नहीं थीं. कंपनियों को उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी, डेटा मैनेजमेंट और बेहद कुशल प्रक्रिया को अपनाना होगा, जिससे वह नया बिजनेस मॉडल बना सके.

4- भारत, चीन बनेंगे महाशक्ति

2020 से एशिया का दौर शुरू हो जाएगा, क्योंकि 2020 में एशिया की GDP पूरी दुनिया की कुल GDP से ज्यादा हो जाएगी, 2030 तक एशिया एक महाशक्ति बन जाएगा जो ग्लोबल ग्रोथ में 60 परसेंट की हिस्सेदारी रखेगा. मिडिल क्लास से करीब 240 करोड़ नए ग्राहक ग्लोबल इकोनॉमी से जुड़ेंगे और इसका एक बड़ा हिस्सा चीन और भारत से आएगा. तब इन देशों की सरकारों, कारोबारियों और NGOs के ऊपर जिम्मेदारी होगी कि वह विकास को सही दिशा दें. भारत का विशाल जनसंख्या बल मिडिल क्लास का बढ़ता स्तर खपत में इजाफा करेगा जिसकी वजह से इकोनॉमिक ग्रोथ में तेजी आने की उम्मीद है.

5- चौथी औद्योगिक क्रांति पर नियंत्रण

चौथी औद्योगिक क्रांति की आबो हवा के बीच तेजी से बदलती तकनीक को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है, ताकि इसके खतरे को कम से कम किया जा सके और इसका फायदा कारोबार और समाज को मिल सके. उम्मीद है कि इसे लेकर WEF में कुछ ठोस रास्ता निकाला जा सकता है. क्योंकि आने वाले दशक में हम ग्लोबल इकोनॉमी में तेजी से बदलाव देखेंगे, जो बहुत बड़े पैमाने पर और जोरदार होगा. ये बदलाव दुनिया के उत्पादन वितरण और खपत के पूरे सिस्टम को ही बदल कर रख देगा. उम्मीद इस बात की है कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में दुनिया की शक्तियां इस बात को समझेंगी.