ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ के निधन के साथ वहां एक युग का अंत हो गया है. 70 सालों तक राजसी परिवार और इंग्लैंड का चेहरा रही एलिजाबेथ के जाने के साथ ही अब ब्रिटेन का नया किंग मिलेगा. उनके बेटे प्रिंस ऑफ वेल्स चार्ल्स, अब राजा बनेंगे. उन्हें किंग चार्ल्स द थर्ड कहा जाएगा. संयोग ही है कि क्वीन का निधन ऐसे वक्त में हुआ है, जब ब्रिटेन को प्रधानमंत्री के रूप में भी नया चेहरा मिला है. यूके लीडरशिप में दोहरा बदलाव देख रहा है. 

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अभी इसी हफ्ते लिज़ ट्रस इंग्लैंड की नई प्रधानमंत्री बनी हैं. इसके साथ ही वो ब्रिटेन की तीसरी और आखिरी ऐसी महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं, जो पीएम बनने के बाद परंपरा के अनुसार महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से मुलाकात करने पहुंची थीं. इंग्लैंड में ऐसा नियम है कि प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद मौजूदा प्रधानमंत्री क्वीन से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपता है, इसके बाद अगला प्रधानमंत्री जाकर क्वीन से मुलाकात करता है और सत्ता संभालता है.

क्वीन एलिजाबेथ अपने 70 सालों के शासन में विंस्टन चर्चिल से लेकर लिज़ ट्रस तक, 15 प्रधानमंत्रियों को सत्ता संभालते हुए देख चुकी हैं.

अब राजा चार्ल्स और प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस इंग्लैंड के नए रॉयल और पॉलिटिकल चेहरे हैं. 

क्या हैं इनके सामने चुनौतियां

नए राजा और नई प्रधानमंत्री दोनों में किसी के लिए आगे की राह आसान नहीं है. क्वीन एलिजाबेथ मॉडर्न हिस्ट्री में सबसे पॉपुलर ब्रिटिश शासक रही हैं, उनके नक्शे-कदम पर चलना बहुत आसान नहीं होगा.

प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन मार्कल के रॉयल ड्यूटी से पीछे हटने के बाद से शाही परिवार कई तरह के विवादों का केंद्र रहा है. दोनों के ओप्रा विन्फ्रे शो पर इंटरव्यू देने के बाद से ही परिवार पर नस्लभेद के आरोप भी लगे थे. 

इस बीच ऐसी मांगें भी उठ रही थीं कि ब्रिटेन में शाही परिवार के शासन को खत्म कर दिया जाए या इसे मॉर्डनाइज कर दिया जाए. सदियों से ब्रिटिश इतिहास का बड़ा केंद्रबिंदु रहे शाही परिवार  और संसद में उनकी जो भूमिका है, वो खारिज किए जाने की मांग काफी भारी है. ऐसे में 21वीं सदी की इस दुनिया में किंग चार्ल्स के लिए शाही परिवार की स्थिति मजबूत बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी.

वहीं, लिज़ ट्रस की बात करें तो वो ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री बनी हैं, जब ब्रिटेन घोर महंगाई और आसमान छू रहे कॉस्ट ऑफ लिविंग से पस्त है. एनर्जी बिल लोगों को रुला रहा है. 

ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पिछले कई दशकों में अपनी सबसे खराब स्थिति में पहुंच गई है. लेबरफोर्स के बीच अंसुष्टि, आर्थिक असमानता और पिछली सरकार के स्कैंडल लिज़ ट्रस के सामने मुंह बाए खड़े हैं.

ऐसे में ब्रिटेन के लिए यह बड़ा ही चुनौती भरा लेकिन निर्णायक समय साबित होने वाला है.