स्वास्थ्य सेवा पर होने वाले खर्च में इजाफा होने से दुनियाभर में हर साल 10 करोड़ लोग घोर गरीबी के गर्त में जा रहे हैं. यह आकलन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का है. डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में स्वास्थ्य सेवा खर्च का योगदान 10 फीसदी है. 

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स्वास्थ्य सेवा खर्च में सरकार का व्यय, लोगों द्वारा खुद किया जाने वाला खर्च और ऐच्छिक स्वास्थ्य सेवा बीमा, नियोक्ता द्वारा प्रदत्त स्वास्थ्य कार्यक्रम व गैर सरकारी संगठनों के कार्यकलापों जैसे स्रोत शामिल हैं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट 'वैश्विक स्वास्थ्य सेवा खर्च-2018' में बताया गया है कि निम्न व मध्य आय वाले देशों में स्वास्थ्य सेवा खर्च हर साल औसतन छह फीसदी की दर से बढ़ रहा है जबकि उच्च आय वाले देशों में यह वृद्धि औसतन चार फीसदी है. 

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार औसतन देश के स्वास्थ्य सेवा खर्च का 51 फीसदी वहन करती है, जबकि हर देश में 35 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य सेवा पर खर्च लोगों को खुद करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप हर साल 10 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी के शिकार बनते जा रहे हैं. 

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रोस ऐडरेनॉम गैबरेयेसस ने एक बयान में कहा, "यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज और स्वास्थ्य से संबंधित टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए घरेलू खर्च में वृद्धि जरूरी है."

उन्होंने कहा, "लेकिन स्वास्थ्य सेवा खर्च लागत नहीं है. यह गरीबी उन्मूलन, नौकरी, उत्पादकता, समावेशी आर्थिक विकास और अधिक स्वासथ्यकर, सुरक्षित व बेहतर समाज के लिए निवेश है." रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम आयु वाले देशों में प्रति व्यक्ति सरकारी स्वास्थ्य सेवा खर्च वर्ष 2000 के मुकाबले दोगुना हो गया है.