दुनियाभर में आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं का दबदबा बढ़ रहा है. परंपरागत तौर पर आर्थिक विषय महिलाओं से दूर रहा है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने इस मिथक को तोड़ा, अब उनकी जमात में और भी कई महिलाएं शामिल हो रही हैं और अर्थ के क्षेत्र में महिलाओं का दबदबा बढ़ रहा है. 

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इस हफ्ते आईएमएफ और विश्वबैंक की इंडोनेशिया के बाली में सालाना बैठक में कुछ इसी तरह का नजारा होगा. लेगार्ड अब आईएमएफ में शीर्ष पद पर काबिज अकेली अर्थशास्त्री नहीं रहीं, आईएमएफ ने हाल ही में गीता गोपीनाथ को अपना मुख्य अर्थशास्त्री नियुक्त किया है. आईएमएफ में इस पद पर काबिज होने वाली वह पहली महिला हैं.

गोपीनाथ, 46 वर्ष, हावर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं. साथ ही अमेरिका के प्रतिष्ठित 'अमेरिकन इकनॉमिक रिव्यू' की सह-संपादक भी. आईएमएफ में वह नया दृष्टिकोण ला सकती हैं. आईएमएफ परंपरागत तौर पर उदार विनियम दरों का हिमायती रहा है ताकि आर्थिक झटकों को झेला जा सके, जबकि गोपीनाथ के काम करने का तरीका हमेशा इससे उल्टा रहा है.

इसी तरह विश्वबैंक ने अप्रैल में पिनेलोपी कोजियानो गोल्डबर्ग को अपनी मुख्य अर्थशास्त्री के तौर पर नामित किया था. वह येल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं. जून में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने लॉरेंस बून को अपनी मुख्य अर्थशास्त्री बनाया. उससे पहले वह फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रंस्वा ओलांद की सलाहकार रह चुकी हैं.

इतना ही नहीं दुनिया के कई देशों की वित्त मंत्री भी अब महिलाएं हैं. जिस देश में आईएमएफ और विश्वबैंक की सालाना बैठक हुई, उस इंडोनेशिया की वित्त मंत्री श्री मुलयानी इंद्रावती एक महिला ही हैं. वहीं क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश कनाडा के बैंक ऑफ कनाडा की वरिष्ठ डिप्टी गवर्नर कैरोलिन विलकिन्स महिला हैं.