भारत में हम जिस दिन सुख समृद्धि की कामना करते हुए धनतेरस मना रहे होंगे, उसी दिन ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंध बिजली बनकर गिरने वाले हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध 5 नवंबर से पूरी ताकत के साथ लागू हो जाएंगे. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि इस प्रतिबंध का भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत पर क्या असर होगा?

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बीते दिनों कच्चे तेल की कीमतों में थोड़ा नरमी का रुख दिखाई दिया था, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध की तारीख नजदीक आने के साथ ही तेल की कीमतों में फिर उबाल के संकेत दिखने लगे हैं. अब लगने लगा है कि एक बुरा सपना सच होकर रहेगा. इस महीने की शुरुआत में तेल की कीमत 87 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंची थी, हालांकि बाद में इसमें 77 डॉलर प्रति बैरल तक की गिरावट आई.

तेल कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि इस साल के अंत तक तेल की कीमत निश्चित रूप से 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर जाएंगी. इसका मतलब है कि नए साल में आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए 100 रुपये से अधिक चुकाने होंगे. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि इस समय ईरान से 5 लाख से 10 लाख बैरल प्रतिदिन तेल की आपूर्ति की जा रही है. अगर ईरान की सप्लाई बंद हो गई, तो सऊदी अरब और सभी ओपोक देश मिलकर भी इस कमी को पूरा नहीं कर पाएंगे. तेल पहले ही सप्लाई के दबाव का सामना कर रहा है, ऐसे में ईरान पर बैन से हालात और बिगड़ सकते हैं.

अमेरिका ने ईरान पर आरोप लगाया है कि वो उनसे अपने परमाणु कार्यक्रमों को बंद नहीं किया है, साथ ही उसके बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और सीरिया पर प्रभाव के चलते ईरान पर प्रतिबंध लगाए हैं. भारत के अलावा चीन और तुर्की ईरान के बड़े ग्राहक हैं और वो अमेरिका पर दबाव बना रहे हैं कि प्रतिबंधों में ढील दी जाए. उनका कहना है कि दुनिया में इस समय तेल की इतनी सप्लाई नहीं है कि वो ईरान की भरपाई कर सके.

समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉल बॉल्टन चाहते हैं कि ईरान पर सख्ती में कोई कमी न की जाए, जबकि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि इस मामले में थोड़ा लचीला रुख अपनाना चाहिए. अगर कोई बीच का रास्ता निकल आया, तो तेल की कीमतों में राहत मिल सकती है.