संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nation Security Council- UNSC) में सुधार लाने के लिए एक बैठक हुई थी. बैठक में भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है. भारत कब UNSC का परमानेंट मेंबर बनेगा इस बात पर थोड़ी सी क्लैरिटी मिली है. इस बैठक में तीन बड़े देश फ्रांस (France), ब्रिटेन (Britain) और संयुक्त अरब एमिरेट्स (United Arab Emirates) ने भारत को परमानेंट मेंबर बनाने के लिए सपोर्ट किया है. रूस (Russia) के विदेश मंत्री पहले ही भारत के पक्ष में आवाज़ उठा चुके हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति (American President) ने भी भारत परमानेंट मेंबर बनना चाहिए इस बात के लिए सहमति दी हैं. ऐसे में हर बड़े देश अब इस मामले में भारत के साथ खड़ा दिख रहा है. लेकिन इसके बावजूद भारत के लिए ये मेम्बरशिप पाना इतना आसान नहीं है.

कैसा है भारत के लिए समर्थन?

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अभी तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की मेम्बरशिप के लिए चीन (China) ने विरोध ही किया है. माना जा रहा है कि चीन अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटेगा. अगर चीन अपना स्टैंड नहीं बदलता तो इतने समर्थन के बाद भी भारत UNSC में परमानेंट मेंबर नहीं बन सकता. अभी तक फ्रांस, ब्रिटेन और संयुक्त अरब एमिरेट्स (UAE) ने खुलकर भारत को समर्थन दिया है. इस समर्थन से भारत को काफी मदद मिली है. फ्रांस ने भारत के साथ-साथ जर्मनी (Germany) , जापान (Japan) और ब्राज़ील (Brazil) की मेम्बरशिप को भी समर्थन दिया है.

क्या होता है Veto Power, भारत के लिए क्यों ज़रूरी?

भारत UNSC का परमानेंट मेंबर बनने के लिए काफी दिनों से कोशिश कर रहा हैं. अगर भारत परमानेंट मेंबर बन जाता है, तो भारत को वीटो पावर (Veto Power) मिल जाएगी. अभी तक UNSC में वीटो पावर सिर्फ पांच देशों के पास हैं. वीटो पावर परमानेंट मेंबर्स को UNSC के किसी भी प्रस्ताव को वीटो (अस्वीकार) करने का अधिकार देता है. वीटो पावर के साथ ये भी प्रावधान है कि पांच में से एक देश भी अगर इसका इस्तेमाल करें तो, वो प्रस्ताव खारिज हो जाता है. यही वजह है कि अब UNSC में सुधार की मांग हो रही हैं. 

इस समय अमेरिका (USA), ब्रिटेन (Britain), रूस (Russia), चीन (China) और फ्रांस (France) परमानेंट मेंबर हैं. भारत के अलावा अल्बानिया (Albania), ब्राज़ील (Brazil), गेबन (Gabon), घाना (Ghana), आयरलैंड (Ireland), केन्या (Kenya), मेक्सिको (Mexico), नॉर्वे (Norway) और UAE नॉन-परमानेंट मेंबर (Non-Permanent Member) हैं. नॉन परमानेंट मेंबर कॉउन्सिल में क्षेत्रीय आधार पर चुने जाते है. 

 

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